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धनबाद अग्निकांड: "शादी में महिलाएं साड़ी-लहंगे में थीं,भाग नहीं पाईं"- चश्मदीद

Dhanbad Fire: आग लगने और चारों तरफ त्राहि-त्राहि मचने के बीच शादी की रस्मों-रिवाजों को पूरा किया गया.

क्विंट हिंदी
भारत
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<div class="paragraphs"><p>Dhanbad: चश्मदीदों ने बताया- आग से क्यों नहीं बच पाए, किन हालातों में हुई शादी</p></div>
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Dhanbad: चश्मदीदों ने बताया- आग से क्यों नहीं बच पाए, किन हालातों में हुई शादी

(फोटो- क्विंट हिंदी) 

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झारखंड (Jharkhand) के धनबाद (Dhanbad Fire) में 01 फरवरी को एक बहुमंजिला इमारत में भीषण आग लगने से कम से कम 14 लोगों की मौत हो गयी और कई अन्य झुलस गए. धनबाद के सुबोध लाल की इकलौती बेटी की 31 जनवरी को शादी थी, जिसमें शामिल होने के लिए झारखंड-बिहार से रिश्तेदार उनके आशीर्वाद टावर स्थित घर पर जमा हुए थे.

क्विंट से बातचीत में चश्मदीदों ने बताया आग लगते ही बिजली चली गई. जिससे लिफ्ट बंद हो गई, फायर सेफ्टी सिलेंडर तक लोगों की पहुंच नहीं हो पाई. शादी में शामिल होने आई महिलाएं तैयार हो चुकी थीं. ये सभी भारी साड़ी और लहंगे में थीं, सीढ़ी से भागने की कोशिश में सभी आग की चपेट में आ गई. चश्मदीदों ने इस घटना के बारे में क्विंट को क्या बताया?

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इस आग में सुबोध लाल की पत्नी माला देवी, पिता, साली सविता देवी, सविता के आठ साल के बेटे अमन, एक अन्य रिश्तेदार सुशीला देवी, चार साल की बच्ची तान्या सहित कुल 14 लोगों की मौत हो गई. इसमें 10 महिलाएं, तीन बच्चे व एक पुरुष शामिल हैं.

चश्मदीदों ने बताया आग लगने बाद किन हालातों में हुए फेरे  

आग लगने और चारों तरफ त्राहि-त्राहि मचने के बावजूद भी शादी की रस्मों-रिवाजों को पूरा किया गया. सुबोध लाल के रिश्तेदार अशोक लाल ने बताया कि घटना के बाद दोनों ही पक्षों के लोगों ने मिलकर तय किया कि बारात आ गई है शादी कराई जाए.

इसके बाद मातमी सन्नाटे के बीच बिना किसी गाजे-बाजे की शादी कराई गई. बताया जा रहा है कि घटना की जानकारी दूल्हा और दुल्हन को नहीं दी गई. गुरुवार सुबह 5.30 बजे शादी की सभी रस्में पूरा करने के बाद लड़की ससुराल चली गई. शादी सिद्धि विनायक होटल में हुई. ये होटल आशीर्वाद टावर से मात्र 500 मीटर की दूरी पर है.

"शादी के बीच बेटी पूछती रही मां कहां हैं?" 

एक स्थानीय पत्रकार ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि घटना के बाद वह अस्पताल से सीधे विवाह मंडप पहुंचे.

"परिजनों ने मेरा मोबाइल रख लिया. तब उन्होंने केवल बैठने की इजाजत दी. इस दौरान मैं किसी से बात नहीं कर पाया. बस शादी देखता रहा. इस दौरान सुबोध लाल भी मंडप से कुछ दूर कुर्सी पर बैठे रहे. डबडबाई आखों के बीच वो हिम्मत नहीं जुटा पाए कि बेटी का कन्यादान करें. इस रस्म को स्वाती के एक भाई ने पूरी की."
स्थानीय पत्रकार

उन्होंने बताया कि हरेक विधि-विधान के दौरान स्वाती पास खड़ी रिश्तेदार महिलाओं से पूछती रही कि मां कहा है. तबियत खराब होने की बात बता उसे शादी की रस्मों में उलझाए रखा और शादी संपन्न कराई गई.

स्थानीय पत्रकार ने आगे बताया कि, "मैं तो बस ये सोचकर अजीब लग रहा है कि जब ससुराल में उसे इस बात की जानकारी मिलेगी, फिर वहां का क्या माहौल होगा और उस पर क्या बीतेगी."

'अगर आधा घंटा और समय मिलता तो लोग बच जाते'- चश्मदीद

इस घटना में सुबोध लाल की साली सवीता देवी व उनके एक बेटे अमन की भी मौत हो गई है. मीडिया को दिए बयान में अमन के पिता ने बताया कि, आग बुझने में दो घंटा से ज्यादा लग गया.

मेरे बच्चे ने मुझे 7 बजे के आसपास फोन किया. मुझे घर पहुंचने में आधा घंटा से ज्यादा लगा, तब तक मेरे बच्चे को रेस्क्यू ही किया जा रहा था. अगर आधा घंटा और समय मिलता तो लोग बच जाते.

इसी शादी में शामिल होने पटना से आई पूनम देवी ने बताया कि हमलोग शादी पार्टी में जाने के लिए तैयार हो रहे थे. अचानक सब हल्ला करने लगा कि आग लग गई,आग लग गई.... हमलोग भी देखे. जैसे ही सीढ़ी से उतर कर भागने लगे. जैसे ही सीढ़ी से उतरने लगे, पूरा अंधेरा छा गया.

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