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देशभर में दीपोत्सव का जश्न शुरू हो गया है. इस साल 24 अक्टूबर को दिवाली (Diwali 2022) मनाई जाएगी. दिवाली पर माता लक्ष्मी (Mata Lakshmi) और भगवान गणेश (Lord Ganesh) की पूजा करने से अपार धन, संपत्ति, यश और प्रतिष्ठा मिलती है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि लक्ष्मी पूजा के बाद माता लक्ष्मी और गणेश की मूर्ति का क्या करना चाहिए. चलिए आपको बताते हैं कि पूजा के दौरान और पूजा के बाद किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.
दिवाली पर माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की नई मूर्तियां घर लाई जाती हैं. मूर्तियों की स्थापना पूरे विधि-विधान के साथ करनी चाहिए. सबसे पहले घर में बने मंदिर की साफ-सफाई कर लें. जहां मूर्तियां रखनी है वहां लाल और पीले रंग का कपड़ा बिछाएं. इसके बाद पीले चावल से सतिया बनाएं और कलश में जल भरकर रख दें.
इसके बाद मंदिर में पहले से विराजमान पुरानी मूर्तियों की ओर मुख करके मन ही मन उनसे आग्रह किया करें कि आपने साल भर मुझपर और मेरे परिवार पर कृपा की है. इसलिए मैं प्रार्थना करता हूं कि अब आप इन नई मूर्तियों में अपना स्थान ग्रहण करें.
फिर लक्ष्मी-गणेश की नई मूर्तियों को रोली से टीका लगाएं. भगवान गणेश को डंडी वाले पान के पत्ते पर घर का बना हलुआ, लड्डू, दूब घास, साबुत सुपाड़ी, पीले गेंदे के फूल, फल आदि श्रद्धा पूर्वक अर्पित करें. इसी प्रकार माता लक्ष्मी को घर की बनी खीर, खोये की बर्फी, खील बतासे, कमल का फूल, गुलाब का फूल डंडी वाले पान के पत्ते पर रख कर अर्पित करें.
लक्ष्मी पूजा के दौरान घर का माहौल शांति पूर्ण होना चाहिए. किसी भी प्रकार की क्लेश से बचना चाहिए. इसके साथ ही पूरे घर की साफ-सफाई कर गंगाजल छिड़कना चाहिए. मुख्य द्वारा पर आम अथवा अशोक के पत्तों का बंदनवार लगाएं और रंगोली, सतिया, कलश, ॐ आदि शुभ चिन्हों से सजाएं. मुख्य द्वारा गंदा न रहे, वहां जूते, चप्पल आदि न रखें.
नई मूर्ति की स्थापना के बाद पुरानी मूर्तियों का भूलकर भी अपमान न करें. इन्हें किसी कागज या साफ कपड़े में लपेटकर सुरक्षित रख दें. फिर जब भी आपको मौका मिले, आप अपने घर के पास किसी नदी या नहर में उन्हें विसर्जित कर दें. अगर नदी या नहर का पानी गंदा हो तो पुरानी मूर्तियों को उसमें प्रवाहित न करें. ऐसा करना मूर्तियों का अनादर माना जाता है.
अगर आपके आसपास कोई साफ नदी या नहर नहीं मिलती है तो आप किसी साफ जगह पर गड्ढा खोदकर पुरानी मूर्तियों को वहां दबा सकते हैं. पुरानी मूर्तियों को इस प्रकार विदाई देने को भू-विसर्जन कहा जाता है.
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