24 अक्टूबर को दिवाली (Diwali) का त्योहार मनाया जाएगा, जिसकी तैयारियां जोर-शोर से चल रही है. इस त्योहार पर दीया जलाने का अपना महत्व होता है. दिवाली पर दीया जलाना मुख्य परंपराओं में से एक है, जिसका पालन हर कोई त्योहार के दौरान करता है. दीपावली को देश भर में "रोशनी के त्योहार" से भी जाना जाता है.
दिवाली का त्योहार उस दिन को याद रखते हुए मनाया जाता है, जब रावण को मारकर राम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या वापस आए थे.
दिवाली पर लोग अपने घरों को दीयों और तमाम तरह की रोशनियों से सजाते हैं. इस त्योहार पर दीया जलाने का एक अलग महत्व होता है. आइए जानते हैं कि इस दिन जलाए जाने वाले दीयों की क्या अहमियत है.
इस दीवाली को कितने दीये जलाना है और प्रत्येक दीया का महत्व क्या है. इसके बारे में आप जितना ज्यादा जानेंगे, उतना ही बेहतर आप दिवाली का त्योहार मना सकेंगे.
दिवाली पर दीयों का महत्व
धनतेरस के दिन 13 दीये जलाए जाते हैं और उन्हें घर के बाहर कूड़ेदान के पास दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके रखा जाता है.
दीपावली की रात को दूसरा दीया घी से जलाकर मंदिर के सामने रखा जाता है. ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से घर और परिवार में सुख-समृद्धि आती है.
तीसरा दीया देवी लक्ष्मी के सामने रखा जाता है और लोग खुशहाली के लिए आशीर्वाद मांगते हैं.
चौधा दीया तुलसी के पौधे के सामने जलाया जाता है, जो शांति और सुख लाने के नाम से जाना जाता है.
पांचवां दीया घर के प्रवेश द्वार पर खुशहाली और सौभाग्य का स्वागत करने के लिए रखा जाता है.
छठा दीया पीपल के पेड़ के नीचे रखा जाता है. माना जाता है कि इससे आर्थिक और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से मुक्ति मिलती है. इस दीये को सरसों के तेल से जलाना चाहिए.
सातवां दीया घर के किसी भी मंदिर में जलाना चाहिए, माना जाता है कि ये सकारात्मकता लाता है.
आठवां दीया दुर्भाग्य को दूर करने के लिए कूड़ेदान के पास रखा जाता है.
नौवां दीया वॉशरूम के बाहर रखा जाता है, जो सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह में मदद करता है.
दसवां दीया सुरक्षा के लिए छत पर रखा जाता है.
ग्यारहवां दीया सौभाग्य लाने के लिए खिड़की पर रखा जाता है.
बारहवां दीया भी छत पर रखा जाता है और यह त्योहार के माहौल को बनाए रखता है.
तेरहवां दीया अपने घर में उस स्थान पर रखना चाहिए, जहां से लोग गुजरते हैं.
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