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पूरी धरती की हवा हुई प्रदूषित, सिर्फ 1% से भी कम क्षेत्र में साफ हवा

Air Pollution Study: वायु प्रदूषण से हर साल 6.7 मिलियन लोगों की मौत होती है.

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भारत
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<div class="paragraphs"><p>धरती पर साफ हवा का क्षेत्र 1% से भी कम, सबसे ज्यादा चिंता एशिया में </p></div>
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धरती पर साफ हवा का क्षेत्र 1% से भी कम, सबसे ज्यादा चिंता एशिया में

फाइल फोटो

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दिल्ली (Delhi) जैसे शहरों में रह रहे लोगों को अक्सर आपने कहते सुना होगा कि यहां इतना प्रदूषण है कि मन करता है पहाड़ों में जाकर बस जाएं, लेकिन अगर हम आपसे ये कहें कि अब पहाड़ तो छोड़िए धरती का कोई कोना ऐसा नहीं है, जो प्रदूषण से अछूता हो, तो?

दलअसल एक नए शोध में ये बात सामने आई है कि धरती के 99.82% क्षेत्र में पीएम मैटर 2.5 की मात्रा है, जो वायु प्रदूषण का कारण है. यानी पूरी धरती ही प्रदूषित हो चुकी है.

दुनिया की केवल 0.001% आबादी साफ हवा में सांस लेती है

हवा में मौजूद छोटे-छोटे प्रदूषक कण लंग कैंसर और ह्रदय संबंधी बीमारियों के लिए खतरनाक है. लैंसेट प्लैनेटरी हेल्थ में सोमवार को प्रकाशित पीयर-रिव्यू स्टडी के अनुसार,

दुनिया की केवल 0.001% आबादी साफ हवा में सांस लेती है.

इस शोध में वैज्ञानिकों ने पाया कि ऑस्ट्रेलिया और चीन में वैश्विक स्तर पर, 2019 में 70% से अधिक दिनों में दैनिक PM2.5 की मात्रा 15 माइक्रोग्राम (mg) प्रति घन मीटर से ज्यादा थी, जो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का मानक है. वायु प्रदूषण को लेकर सबसे चिंताजनक स्थिति दक्षिण और पूर्वी ऐशिया में है, जहां 90% से ज्यादा दिन PM 2.5 की मात्रा 15 mg से ऊपर दर्ज की गई.

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मोनाश विश्वविद्यालय में प्रमुख शोधकर्ता और पर्यावरणीय स्वास्थ्य प्रोफेसर युमिंग गुओ ने कहा, "मुझे आशा है कि हमारी स्टडी दैनिक पीएम 2.5 जोखिम के लिए वैज्ञानिकों और नीति निर्माताओं की सोच को बदल सकता है." उन्होंने आगे कहा कि, पीएम 2.5 में अचानक वृद्धि से महत्वपूर्ण स्वास्थ्य समस्याएं हैं.

वायु प्रदूषण से हर साल 6.7 मिलियन लोगों की मौत होती है, जिनमें से करीब दो-तिहाई समय से पहले होने वाली मौतें, पर्टिकुलेट मैटर (सूक्ष्म कण) के कारण होती हैं. हालांकि, प्रदूषण निगरानी स्टेशनों की कमी के कारण PM2.5 के लिए वैश्विक जोखिम को निर्धारित करना एक चुनौती है.

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