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बैंक घोटाला केस में शरद पवार और अजित पवार समेत 70 लोगों पर FIR

जानिए- क्या है महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक घोटाला?

रौनक कुकड़े
भारत
Updated:
एनसीपी चीफ शरद पवार और अजित पवार
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एनसीपी चीफ शरद पवार और अजित पवार
(फोटोः PTI)

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महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक (MSCB) घोटाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने नेशनल कांग्रेस पार्टी (NCP) नेता शरद पवार और अजित पवार समेत 70 अन्य पदाधिकारियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है.

अधिकारियों ने बताया कि प्रवर्तन निदेशालय की इन्फॉर्मेशन रिपोर्ट पुलिस की FIR के बराबर है. प्रवर्तन निदेशालय ने इन सभी के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया है. ये मामला मुंबई पुलिस की FIR पर आधारित है, जिसमें महाराष्ट्र के पूर्व उपमुख्यमंत्री अजित पवार और सहकारी बैंक के 70 पूर्व पदाधिकारियों का नाम शामिल है.

बता दें, ये केस ऐसे समय में दर्ज किया गया है जब अगले महीने महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव होने हैं.

मनी लॉन्ड्रिंग केस पर शरद पवार की प्रतिक्रिया

प्रवर्तन निदेशालय की ओर से अपने खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज कराए जाने पर शरद पवार ने BJP सरकार को निशाने पर लिया है.

पवार ने कहा कि चुनाव से पहले महाराष्ट्र में जिस तरह से वह दौरा कर रहे हैं उसकी वजह से BJP घबरा गई है और इसलिए इस तरह की कार्रवाई कर रही है.

राज्य में सहकारी संस्था मुश्किल में आने के बाद उनकी मदद करना मेरे हिसाब से सरकार का काम होता है और यह करना भी अगर गुनाह हो गया तो मुझे आश्चर्य हो रहा है.
शरद पवार, एनसीपी
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एनसीपी चीफ शरद पवार के भतीजे अजित पवार 10 नवम्बर 2010 से 26 सितम्बर 2014 तक महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री रहे थे.

पुलिस की FIR में क्या था?

पुलिस ने अगस्त महीने के आखिर में अजित पवार और अन्य 70 पदाधिकारियों के खिलाफ आर्थिक अपराध शाखा की शिकायत पर एमआरए मार्ग थाने में केस दर्ज किया था. पुलिस अधिकारी ने बताया था कि अजित पवार के अलावा अन्य आरोपियों में पीजेंट्स एंड वर्कर्स पार्टी के नेता जयंत पाटिल और राज्य के 34 जिलों में बैंक इकाई के अधिकारी शामिल हैं. पुलिस अधिकारी ने बताया-

उन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (ठगी और बेईमानी), 409 (नौकरशाह या बैंकर, व्यवसायी या एजेंट द्वारा आपराधिक विश्वासहनन), 406 (आपराधिक विश्वासहनन के लिए सजा), 465 (धोखाधड़ी के लिए सजा), 467 (मूल्यवान चीजों की धोखाधड़ी) और 120 बी (आपराधिक षड्यंत्र की सजा)के तहत मामला दर्ज किया गया है.

बता दें, हाई कोर्ट के जस्टिस एस सी धर्माधिकारी और जस्टिस एस के शिंदे की पीठ ने 22 अगस्त को कहा कि मामले में आरोपियों के खिलाफ ‘‘ठोस साक्ष्य’’ हैं और आर्थिक अपराध शाखा को पांच दिनों के अंदर प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश दिए थे.

क्या है महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक घोटाला?

महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक को साल 2007 और 2011 के बीच एक हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था, जिसमें आरोपियों की कथित तौर पर मिलीभगत थी.

राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) की जांच के साथ ही महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव सोसायटीज कानून के तहत अर्द्ध न्यायिक जांच आयोग की तरफ से दायर आरोप पत्र में नुकसान के लिए पवार और अन्य आरोपियों के ‘‘निर्णयों, कार्रवाई और निष्क्रियताओं’’ को जिम्मेदार ठहराया गया था.

स्थानीय कार्यकर्ता सुरिंदर अरोड़ा ने 2015 में आर्थिक अपराध शाखा में शिकायत दर्ज कराई और हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की थी.

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Published: 24 Sep 2019,08:20 PM IST

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