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राफेल डील पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल की मुकदमे की धमकी को पूरे मीडिया ने एक आवाज में बेहद आपत्तिजनक करार दिया है.
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को अटॉर्नी जनरल की टिप्पणी की कड़ी निंदा की है. अटॉर्नी जनरल ने कहा था कि अखबार द हिंदू जिन दस्तावेजों के आधार पर राफेल पर खुलासे वाली रिपोर्ट छाप रहा है वो रक्षा मंत्रालय से चोरी हुए हैं. उन्होंने ये धमकी भी दे डाली कि ऐसे रिपोर्टरों पर सरकारी गोपनीयता से जुड़े कानून के तहत मुकदमा दर्ज किया जा सकता है.
एडिटर्स गिल्ड के मुताबिक, ''अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा था कि जिन पत्रकारों या वकीलों ने इन दस्तावेजों का इस्तेमाल किया है, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. ऐसी धमकियां मीडिया की आजादी पर गंभीर खतरा हैं.''
एडिटर्स गिल्ड ही नहीं तमाम बड़े अखबारों ने खुलासा करने वाले रिपोर्टर्स के खिलाफ सरकारी गोपनीयता से जुड़े कानून के तहत मुकदमा दर्ज करने की धमकी पर तीखी प्रतिक्रिया जताई है. इन अखबारों के संपादकीय लेखों में साफ कहा गया है कि ऐसे कानून तुरंत खत्म किए जाने चाहिए, जो मीडिया को आजादी से काम करने से रोकते हों.
आइए कुछ ऐसे ही संपादकीय पर नजर डालते हैं...
एक लोकतंत्र में इस तरह की दलील बहुत खतरनाक है. अगर कोर्ट ने इसे मान लिया तो इसके बाद एक खराब और धमकाने वाला चलन शुरू हो जाएगा.
इकनॉमिक टाइम्स ने याद दिलाया है कि जो अभी सरकार में हैं पहले वो पहले विपक्ष में थे और उस वक्त उन्होंने ऐसे बहुत से लीक्ड दस्तावेजों के आधार पर ही तब की सरकार को घेरा था. लेकिन अफसोस कि अब वही लोग सरकार में आने के बाद पुरानी बातें भूल गए.
नेशनल सिक्योरिटी, सरकार की स्थिरता या गोपनीयता के नाम पर खामियां उजागर करने वाले को ही निशाना बनाने की ये कोशिश खतरनाक और आपत्तिजनक है. व्हिसिलब्लोअर को ही अपराधी मान लेना, अभिव्यक्ति की आजादी और लोगों के जानने के अधिकार पर हमला है. राफेल केस में 'चोरी किए गए दस्तावेजों' के आधार पर अटॉर्नी जनरल का (पुनर्विचार याचिका के खिलाफ) विरोध चौंकाना वाला है. कोर्ट को इसे अनदेखा करना चाहिए.
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