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सुप्रीम कोर्ट में राफेल मामले पर सुनवाई के बाद 'द हिंदू' अखबार के चेयरमैन एन राम ने कहा कि डील से जुड़े दस्तावेज जनहित (पब्लिक इंटरेस्ट) में पब्लिश किए गए हैं, इसके सोर्स के बारे में कोई कुछ नहीं जान पाएगा. एन राम ने ये भी कहा कि किस व्यक्ति ने दस्तावेज मुहैया कराए, ये 'सीक्रेट' है. उस सोर्स के बारे में ‘द हिंदू’ अखबार से किसी व्यक्ति का कुछ लेना-देना नहीं है.
जर्नलिस्ट एन राम ने कहा, "अखबार में खबर पब्लिश की गई, क्योंकि हमारे पास राफेल डील से संबंधित सारे सबूत मौजूद हैं. जो हमने गुप्त रखे हैं."
केंद्र का कहना है कि राफेल डील को लेकर चोरी हुए दस्तावेजों के ही आधार पर 'द हिंदू' ने खबर छापी है. रिपोर्ट में छपी सभी जानकारियां चोरी हुए इन दस्तावेजों पर आधारित हैं. जो कि ऑफिशयल सीक्रेट एक्ट का उल्लंघन है.
एन राम ने पीटीआई से कहा, ‘‘आप इसे चोरी हो गए दस्तावेज कह सकते हैं. हम इसको लेकर चिंतित नहीं हैं. हमें ये गुप्त सूत्रों से मिला था और हम इन सूत्रों को गुप्त रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं. कोई भी इन सूत्रों के बारे में हमसे कोई जानकारी नहीं पा सकेगा. लेकिन दस्तावेज खुद ही बोलते हैं और खबरें (स्टोरी) खुद ब खुद बोलती हैं. ’’
एन राम ने कहा, ‘‘हमने जो कुछ किया, वह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 (1)(ए) अभिव्यक्ति की आजादी के तहत और सूचना का अधिकार अधिनियम, विशेष रूप से इसकी धारा 8 (1)(आई) और धारा 8 (2) के तहत पूरी तरह से संरक्षित है...’’
एन राम ने 8 फरवरी को ‘द हिंदू’ में लिखा था कि भारत और फ्रांस के बीच 59,000 करोड़ रुपये के राफेल डील को लेकर चली बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की ओर से ‘‘समानांतर बातचीत’’ किए जाने पर रक्षा मंत्रालय ने आपत्ति दर्ज कराई थी.
इसके बाद राफेल डील को लेकर 'द हिंदू' ने एक और खुलासा किया. 'द हिंदू' ने डील पर बातचीत करने वाली भारतीय टीम की रिपोर्ट के आधार पर दावा किया कि बैंक गारंटी न होने की वजह से ये डील महंगी हो गई. रिपोर्ट के मुताबिक, बैंक गारंटी न होने के कारण राफेल के दाम करीब 246 मिलियन यूरो तक बढ़ गए.
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