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एडिटर गिल्ड ऑफ इंडिया (EGI) ने सूचना प्रौद्योगिकी नियम 2021 में संशोधन के ड्राफ्ट के संबंध में चिंता व्यक्त की है. EGI की तरफ से केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री को भेजे गए पत्र में कहा गया कि ड्रॉफ्ट नियमों में PIB को फैक्ट चेक से संबंधित जो अधिकार दिए जा रहे हैं, वो प्रेस की आजादी पर लगाम लगा सकते हैं.
EGI ने कहा कि इससे सरकार की आलोचना करने वालो संस्थानों को फर्क पड़ेगा और सरकारों को जिम्मेदार ठहराने की प्रेस की क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा, जो लोकतंत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
EGI ने आगे कहा कि
पीआईबी सरकार की नीतियों, कार्यक्रमों, पहलों और उपलब्धियों पर प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को सूचना प्रसारित करने के लिए भारत सरकार की नोडल एजेंसी है. यह सरकार और मीडिया के बीच एक इंटरफेस के रूप में काम करती है.
ब्यूरो की वेबसाइट पर उपलब्ध प्रेस नोट और तमाम तरह की सूचना अंग्रेजी, हिंदी और उर्दू में जारी की जाती है, इसके बाद देश के विभिन्न हिस्सों में लगभग 8,400 समाचार पत्रों और मीडिया संगठनों तक पहुंचने के लिए अन्य भारतीय भाषाओं में इसका अनुवाद किया जाता है.
इसके अलावा पीआईबी सरकार की महत्वपूर्ण नीतिगत पहलों पर प्रेस कॉन्फ्रेंस, प्रेस ब्रीफिंग, मंत्रियों/सचिवों और अन्य सीनियर अधिकारियों के इंटरव्यू आयोजित करता है.
इसलिए यह पूरी तरह स्पष्ट है कि पीआईबी की भूमिका सरकार के मामलों पर समाचार संगठनों को सूचना प्रसारित करने तक सीमित है.
प्रस्तावित संशोधन से इस एजेंसी को व्यापक नियामक शक्तियां देने की मांग की गई है, जो स्पष्ट रूप से अवैध और असंवैधानिक है. संशोधन आगे भी "तथ्यों की जांच के लिए केंद्र सरकार द्वारा अधिकृत अन्य एजेंसी" को भी शामिल करता है, जिससे ऐसी कठोर शक्तियों वाली संभावित सरकारी एजेंसियों का दायरा और भी व्यापक हो जाता है.
एडिटर गिल्ड ऑफ इंडिया ने 25 फरवरी, 2021 को पहली बार पेश किए गए आईटी नियमों पर अपनी गहरी चिंता जताई थी, जिसमें दावा किया गया था कि ये नियम केंद्र सरकार को देश में कहीं भी प्रकाशित समाचारों को ब्लॉक करने, हटाने या संशोधित करने का अधिकार देते हैं. इन नियमों के विभिन्न प्रावधानों में डिजिटल समाचार मीडिया और परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर मीडिया पर अनुचित प्रतिबंध लगाने की क्षमता है.
हाल ही में 18 जनवरी को भी IT नियमों में नए संशोधन प्रस्ताव को लेकर एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने चिंता जाहिर की है. IT मिनिस्ट्री द्वारा प्रेस इन्फर्मेशन ब्यूरो (PIB) को फेक न्यूज के फैक्ट चेक और सोशल मीडिया को इन्हें हटाने का आदेश देने का अधिकार देने वाले प्रस्ताव पर एडिटर्स गिल्ड ने कहा था कि फेक न्यूज को हटाने जैसा फैसला अकेले सरकार के हाथों में नहीं होना चाहिए. इससे प्रेस की स्वतंत्रता पर असर पड़ेगा और सही आलोचना भी दब जाएगी.
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