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चुनावों में सोशल मीडिया ने भी बढ़ाया बीजेपी का जलवा: CSDS
66 फीसदी वोटर तो आज भी सोशल मीडिया का इस्तेमाल ही नहीं करते.
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चुनावों में सोशल मीडिया ने भी बढ़ाया बीजेपी का जलवा: CSDS
(फोटो: पीटीआई)
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देश में अब भी ज्यादातर लोग सियासी खबरों के लिए टीवी और न्यूजपेपर पर निर्भर हैं. सिर्फ 3 फीसदी लोग सोशल मीडिया से ये खबरें पाते हैं. 66 फीसदी वोटर तो आज भी सोशल मीडिया का इस्तेमाल ही नहीं करते. एक खास बात ये है कि सोशल मीडिया के कारण बीजेपी को समर्थन बढ़ा है. ये बातें 2014 से 2019 के बीच सोशल मीडिया यूज पर CSDS की रिपोर्ट में कही गई हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक जो लोग सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते भी हैं उनमें से 25% यहां आने वाली खबरों पर भरोसा नहीं करते. लेकिन जो लोग सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हैं वो इसके आधार पर भी अपनी राय बनाते हैं. सोशल मीडिया के कारण किसी पार्टी को पसंद -नापसंद करने की गुंजाइश बढ़ जाती है.ये भी पता चला है कि अगड़ी जातियों के लोग सोशल मीडिया का इस्तेमाल ज्यादा करते हैं.
रिपोर्ट की खास बातें:
सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने वाले हर पांच में से चार लोगों ने 'चौकीदार चोर है' और 'मैं भी चौकीदार' नारों को सुना था.
जो सोशल मीडिया पर नहीं हैं उनमें से हर दूसरा शख्स इन नारों से अनजान था.
युवाओं में सोशल मीडिया का ज्यादा क्रेज है. लेकिन सबसे ज्यादा 18-25 साल के युवा सोशल मीडिया पर हैं
75% महिला वोटर सोशल मीडिया पर नहीं हैं.
पांच साल में फेसबुक का इस्तेमाल तीन गुना और वॉट्सऐप का इस्तेमाल चार गुना बढ़ा
फेसबुक और वॉट्सऐप के बाद यूट्यूब सबसे लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है.
पिछले 5 साल में फेसबुक के इस्तेमाल में तीन गुना और वॉट्सअप के इस्तेमाल में 5 गुना की बढोतरी.
फेसबुक और वॉट्सअप के बाद Youtube तीसरा सबसे बड़ा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है
पिछले 5 साल में ट्विटर के इस्तेमाल में 6 गुना का इजाफा हुआ है
पूर्वी भारत में सोशल मीडिया पर सबसे कम ध्यान है, दक्षिण भारत में सबसे ज्यादा
अगड़ी जातियों का ऑनलाइन सोशल नेटवर्क पर प्रभुत्व है, दलित और आदिवासी समुदाय के लोग पीछे हैं
सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म मिला दें तो महिला यूजर्स की संख्या कुल यूजर्स के एक तिहाई ही है
देश की हर चार महिला वोटर्स में से 3 का सोशल मीडिया से कोई वास्ता नहीं है
जो वोटर किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर नहीं थे, उन हर 2 में से 1 वोटर को कभी न्याय स्कीम के बारे में पता ही नहीं चल पाता
जो लोग ये मानते हैं कि भारत सिर्फ हिंदुओं का देश होना चाहिए, वो सभी कैटेगरी मिलाकर कुल 14 से 17 फीसदी थे
जवाब देने वाले यूजर्स में से हर 4 में से 1 ने ये कहा कि उसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर शेयर होने वाली खबर पर कोई भरोसा नहीं है