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लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) से पहले चुनाव आयोग (Election Commission) ने राजनीतिक पार्टियों के लिए प्रचार से जुड़ा सख्त गाइडलाइन जारी किया है. आयोग ने चुनाव प्रचार में बच्चों और नाबालिग को शामिल करने पर रोक लगा दी है. आयोग का कहना है कि अगर कोई उम्मीदवार गाइडलाइन का उल्लंघन करते पाया जाएगा तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
लोकसभा चुनाव की तैयारियों के बीच निर्वाचन आयोग ने सोमवार, 5 जनवरी को सख्त निर्देश जारी किए हैं. इसके तहत चुनाव प्रचार में बच्चों या नाबालिगों को शामिल करने पर पूरी तरह रोक लगा दी गई है. आयोग ने पार्टियों और उम्मीदवारों द्वारा चुनावी प्रक्रिया के दौरान किसी भी तरह से बच्चों को शामिल करने के प्रति 'जीरो टॉलरेंस' की बात कही है.
इसके साथ ही आयोग ने कहा कि राज नेताओं और उम्मीदवारों को किसी भी तरह से प्रचार गतिविधियों में बच्चों को शामिल नहीं करना चाहिए, जिसमें बच्चे को गोद में लेना, वाहन में बच्चे को ले जाना या रैलियों में शामिल करना शामिल है.
सभी राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को बाल श्रम (निषेध और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2016 द्वारा संशोधित बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करना आवश्यक है. इसके साथ ही आयोग ने सभी चुनाव अधिकारियों और मशीनरी को स्पष्ट रूप से निर्देश दिया है कि वो चुनाव-संबंधी कार्य या गतिविधियों के दौरान किसी भी क्षमता में बच्चों को शामिल करने से बचें.
आयोग ने गाइडलाइन जारी करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया है. चेतन रामलाल भुटाडा बनाम महाराष्ट्र राज्य और अन्य केस में 4 अगस्त, 2014 को अपने फैसले में कोर्ट ने यह सुनिश्चित करने पर जोर दिया गया था कि राजनीतिक दल बच्चों को चुनाव प्रचार में शामिल न करें और अपने उम्मीदवारों को भी इसकी अनुमति न दें.
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