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उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चुनावी सभा में सेना से जुड़े एक बयान को लेकर मुश्किलों में घिर गए हैं. योगी आदित्यनाथ ने रविवार को गाजियाबाद में एक चुनावी सभा में भारतीय सेना को ‘मोदीजी की सेना’ करार दिया.
इस बयान पर बवाल मचने के बाद चुनाव आयोग ने गाजियाबाद के डीएम से रिपोर्ट मांगी है. सूत्रों ने बताया कि चुनाव आयोग ने मीडिया रिपोर्ट का संज्ञान लेते हुए रिपोर्ट तलब की है. गाजियाबाद के डीएम अपनी रिपोर्ट यूपी के मुख्य चुनाव अधिकारी को भेजेंगे.
विपक्षी दलों पर प्रहार करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के लिए जो ‘असंभव’ था, वह अब बीजेपी के शासन में संभव हो गया है. योगी ने कहा-
उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस के लिए जो नामुमकिन था, वह अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए मुमकिन है. क्योंकि, जहां मोदी जी हैं, वहां नामुमकिन भी मुमकिन बन जाता है.’’
मौजूदा सांसद और केंद्रीय मंत्री वी.के. सिंह के लिए चुनाव प्रचार करने आये आदित्यनाथ ने इससे पहले केंद्र के पांच साल और राज्य के दो साल के शासन के दौरान क्षेत्र में किये गए विकास कार्यों और योजनाओं को गिनाया.
भारतीय सेना को “मोदीजी की सेना” बताने को लेकर तमाम विपक्षी दलों ने बीजेपी और योगी आदित्यनाथ को घेरा है.
कांग्रेस नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने योगी आदित्यनाथ पर इस बयान को लेकर हमला किया है. उन्होंने योगी आदित्यनाथ से माफी की मांग की है. उन्होंने ट्वीट किया कि, “यह हमारी भारतीय सेना का अपमान है. वे भारतीय सेना के जवान हैं, किसी प्राइवेट प्रचार मंत्री के नहीं. योगी आदित्यनाथ को माफी मांगनी चाहिए.”
आम आदमी पार्टी नेता अलका लांबा ने भी योगी आदित्यनाथ को निशाने पर लिया है. उन्होंने लिखा, ‘भारतीय सेना को मोदी की सेना बोलकर भारतीय सेना को अपमानित करने का काम किया है सत्ता के भोगियों ने...देश इन्हें माफ नहीं करेगा. शर्म करो, कुर्सी के लिए सेना, देश को और कितना अपमानित करोगे.’
बीते फरवरी में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर आत्मघाती हमला हुआ था. इसमें सीआरपीएफ के करीब 40 से ज्यादा जवान शहीद हो गए थे. इसके बाद भारतीय वायुसेना ने एयर स्ट्राइक कर आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया था. इसके बाद से मोदी सरकार के कई मंत्री इसका श्रेय लेते दिखे. कई बीजेपी नेताओं ने इसे सरकार की उपलब्धि बताया.
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