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इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़े कई अहम आंकड़े सामने आ चुके हैं. इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए सबसे ज्यादा चंदा देने वालों की लिस्ट में शामिल तीसरी कंपनी को लेकर खास बात सामने आई है. तीसरी सबसे बड़ी इलेक्टोरल बॉन्ड दानदाता, क्विक सप्लाई चेन ने एक अहम राज्य के चुनावों से पहले तीन किस्तों में कुल 410 करोड़ रुपये का चुनावी बॉन्ड (Electoral Bonds) खरीदा था.
14 मार्च को चुनाव आयोग (ECI) द्वारा जारी SBI के आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि क्विक सप्लाई चेन ने मार्च 2022 में पांच राज्यों में चुनाव से पहले और दिसंबर 2022 में दो राज्यों में चुनाव और दिसंबर 2023 में पांच राज्यों में होने वाले चुनाव से पहले चुनावी चंदे दिए हैं.
क्विंट ने क्विक सप्लाई चेन (Qwik Supply Chain) द्वारा खरिदे गए चुनावी बॉन्ड और चुनाव परिणाम के दिन के बीच के समय का भी विश्लेषण किया ताकि यह देखा जा सके कि उस अवधि में किस पार्टी ने चुनावी बॉन्ड से अधिकतम राशि भुनाई.
क्विक सप्लाई चेन ने सबसे पहला और बड़ा डोनेशन 5 जनवरी 2022 को 225 करोड़ रुपये का किया था. फिर इसके पांच दिन बाद कंपनी ने 10 जनवरी 2022 को 10 करोड़ रुपये का चुनावी बॉन्ड खरीदा जिससे यह जनवरी के महीने में कुल 235 करोड़ रुपये हो गया.
यह मार्च 2022 में पांच राज्यों- उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा में होने वाले चुनावों से ठीक दो महीने पहले की बात है. क्विक सप्लाई चेन के पहले चंदे की तारीख 5 जनवरी से लेकर विधानसभा चुनाव परिणाम के दिन तक बीजेपी ने कुछ हफ्तों के भीतर 770 करोड़ रुपये से अधिक की राशि भुनाई थी. इसके विपरीत, कांग्रेस ने इसी अवधि में लगभग 116 करोड़ रुपये भुनाए थे.
इससे पहले, सरकार द्वारा अधिसूचना के मुताबिक चुनावी बॉन्ड को एक साल में केवल चार बार (जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर) और सिर्फ 10 दिन के लिए खरीदनें की अनुमति थी. लेकिन गजट अधिसूचना ने "विधानमंडल के साथ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभा के चुनावों के साल" के दौरान 15 दिनों के अतिरिक्त बिक्री की अनुमति दी.
आखिर में, 17 नवंबर 2023 को कंपनी की ओर से 50 करोड़ रुपये के चंदे का तीसरा सेट आया. यह दिसंबर 2023 में पांच राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में होने वाले चुनावों से कुछ हफ्ते पहले की बात है.
कंपनी द्वारा चंदा मिलने और 3 दिसंबर को आए चुनाव नतीजों के बीच बीजेपी ने कुल 903 करोड़ रुपये जबकि कांग्रेस ने 68 करोड़ रुपये भुनाए.
SBI के नियमों के अनुसार, चुनावी बॉन्ड जारी होने की तारीख से केवल 15 दिनों के लिए वैध हैं और वैधता अवधि समाप्त होने के बाद चुनावी बॉन्ड जमा करने पर किसी भी राजनीतिक दल को कोई भुगतान नहीं किया जाएगा. इस प्रकार, पार्टियों द्वारा बॉन्ड को 15 दिनों के अंदर ही भुनाना होगा. इस अवधि में दूसरे फर्मों ने भी चंदा दिया था, लेकिन इसकी पुष्टि करने का कोई तरीका नहीं है कि किस फर्म ने किस राजनीतिक दल को चंदा दिया क्योंकि एसबीआई ने चुनावी बॉन्ड संख्या अभी जारी नहीं की है.
भारत के निजी कंपनियों के लिए बिजनेस इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म TOFLER के अनुसार, क्विक सप्लाई चेन जो गोदामों और भंडारण इकाइयों का निर्माता है, के तीन निदेशक हैं - तापस मित्रा, विपुन प्राणलाल मेहता, और श्रीधर टिट्टी - और एक प्रमुख प्रबंधन कर्मी अनुश्री भार्गव हैं.
निदेशक तापस मित्रा ने सबसे लंबे समय तक अपनी सेवा दी हैं. इन्हें 17 नवंबर 2014 को नियुक्त किया गया था और उनके पास 25 अन्य कंपनियों के निदेशक पद हैं. इसमें रिलायंस इरोज प्रोडक्शंस एलएलपी, रिलायंस टैंकेजेज प्राइवेट लिमिटेड, रिलायंस ग्रुप सपोर्ट सर्विस प्राइवेट लिमिटेड, रिलायंस फायर ब्रिगेड सर्विस प्राइवेट लिमिटेड और जामनगर कांडला पाइपलाइन कंपनी समेत कई कंपनियां शामिल हैं.
जामनगर कांडला पाइपलाइन अहमदाबाद में उस पते पर पंजीकृत है जो रिलायंस कंपनियों के कुछ दूसरी कंपनियां द्वारा भी साझा की गई है. जैसे कि रिलायंस पेजिंग प्राइवेट लिमिटेड, जामनगर रतलाम पाइपलाइन प्राइवेट लिमिटेड, रिलायंस टैंकेजेज प्राइवेट लिमिटेड और रिलायंस ऑयल एंड पेट्रोलियम प्राइवेट लिमिटेड शामिल है.
समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए जवाब में रिलायंस ने कहा है कि "क्विक सप्लाई चेन प्राइवेट लिमिटेड किसी भी रिलायंस इकाई की सहायक कंपनी नहीं है." विशेष रूप से, TOFLER के अनुसार, कंपनी का वित्तीय वर्ष 2022-23 में 500 करोड़ रुपये का राजस्व था, जबकि चुनावी बांड के माध्यम से दान की गई कुल राशि 410 करोड़ रुपये है.
फर्म का पंजीकृत पता नवी मुंबई के धीरूभाई अंबानी नॉलेज सिटी (DAKC) में है. वित्तीय वर्ष 2021-22 में, जब उसने 360 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड दान किए, तो इसकी घोषणा की गई शुद्ध लाभ केवल 21.72 करोड़ रुपये था.
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