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Electoral Bonds:1,368 करोड़ रुपये - यह कुल राशि है, जो लॉटरी कारोबारी सैंटियागो मार्टिन (Santiago Martin) की कंपनी 'फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड' (Future Gaming and Hotel Services Private Ltd) ने चुनावी बॉन्ड के माध्यम से राजनीतिक दलों को दी है. भारतीय चुनाव आयोग की वेबसाइट पर भारतीय स्टेट बैंक (SBI) द्वारा जारी आंकड़ों के आधार पर, मार्टिन की कंपनी देश में किसी भी अन्य कंपनी या व्यक्ति की तुलना में चुनावी बॉन्ड की सबसे अधिक खरीदार है.
अब, सवाल है कि फ्यूचर गेमिंग के चुनावी चंदे से किस पार्टी को सबसे अधिक लाभ मिला है?
इसका पता लगाने का कोई तरीका नहीं है क्योंकि चुनावी बॉन्ड का अल्फान्यूमेरिक कोड अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है.
लेकिन फ्यूचर गेमिंग द्वारा खरीदे गए इलेक्टोरल बॉन्ड का एक और दिलचस्प पहलू इसके खरीदारी का समय है. अगर अभी सबसे ज्यादा यूज किए जा रहे शब्दों में कहें तो इसकी क्रॉनोलॉजी दिलचस्प है.
यह पता चला है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा प्रमोटर सैंटियागो मार्टिन की संपत्ति जब्त किए जाने के कुछ ही दिनों के भीतर कंपनी ने इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए सबसे बड़ा डोनेशन दिया.
ED की कार्रवाई के कुछ दिन बाद फ्यूचर गेमिंग ने इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे
अब, फ्यूचर गेमिंग चुनावी चंदा देनेवाली एकमात्र फर्म नहीं है, जिसे एजेंसियों के छापे का सामना करना पड़ा है. द क्विंट के गहन अध्ययन से पता चलता है कि शीर्ष 30 चुनावी बॉन्ड-खरीदारों में से 14 को छापे का सामना करना पड़ा. फ्यूचर गेमिंग भी उनमें से एक है.
फ्यूचर गेमिंग के मामले में दिलचस्प बात यह है कि ईडी के छापे के तुरंत बाद इसके चुनावी चंदा का एक बड़ा हिस्सा कैसे प्राप्त हुआ.
इन बॉन्ड की खरीद, एक पैटर्न में फिट बैठती हैं. हमने ईडी द्वारा जारी प्रेस रिलीज के आधार पर इन तारीखों का मिलान किया.
दिसंबर 2021 से जनवरी 2022
23 दिसंबर, 2021: ईडी ने सिक्किम लॉटरी घोटाला मामले में पीएमएलए (PMLA) के तहत सैंटियागो मार्टिन की 19.59 करोड़ की और अन्य की अचल संपत्ति जब्त की. इसके साथ ही इस मामले में कुल कुर्की की रकम 277.59 करोड़ तक पहुंच गई.
5 जनवरी, 2022: फ्यूचर गेमिंग ने 100 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे.
6 जनवरी, 2022: फ्यूचर गेमिंग ने 110 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे.
अप्रैल 2022
2 अप्रैल, 2022: ईडी ने लॉटरी घोटाले के मामले में पीएमएलए, 2002 के तहत फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज प्रा. लिमिटेड और इसके विभिन्न सब डिस्ट्रिब्यूटर्स/एरिया डिस्ट्रिब्यूटर्स की 409.92 करोड़ रुपये की चल संपत्ति कुर्क की.
7 अप्रैल, 2022: फ्यूचर गेमिंग ने 100 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे.
जुलाई 2022
2 जुलाई, 2022: ईडी ने एस मार्टिन और अन्य के खिलाफ मामले में पीएमएलए के तहत 173.48 करोड़ की चल और अचल संपत्ति कुर्क की.
6 जुलाई, 2022: फ्यूचर गेमिंग ने 75 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे.
सितंबर-अक्टूबर 2023
21 सितंबर, 2023: ईडी ने पीएमएलए के तहत फ्यूचर गेमिंग और 15 अन्य कंपनियों के खिलाफ अभियोजन शिकायत दर्ज की. इस मामले में 411 करोड़ रुपये की कुर्की की गई.
5 अक्टूबर, 2023: फ्यूचर गेमिंग ने 75 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे.
ईडी की कार्रवाई के बमुश्किल कुछ दिनों बाद चार सेटों में 450 करोड़ रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे गए. ये फ्यूचर ग्रुप के चुनावी चंदा के कुल डोनेशन का लगभग एक तिहाई है.
वे सवाल, जिसके जवाब नहीं मिले?
फ्यूचर गेमिंग की इलेक्टोरल बॉन्ड की इतनी सारी लगभग एक-तिहाई खरीदारी ईडी की कार्रवाई के कुछ ही दिनों बाद क्यों हुई?
इनमें से 385 करोड़ रुपये के बॉन्ड मार्टिन से जुड़ी संपत्ति ईडी द्वारा कुर्क किए जाने के तुरंत बाद खरीदे गए थे. यह क्या बताता है?
वित्तीय वर्ष 2019 से 2023 में फ्यूचर गेमिंग का नेट प्रॉफिट 215 करोड़ रुपये था. इस अवधि में चुनावी बॉन्ड पर खर्च की गई राशि 1368 करोड़ रुपये थी, जो छह गुना से भी अधिक थी, इसे कोई कैसे समझा सकता है? चुनावी बॉन्ड से कंपनी को क्या फायदा होता है?
यह वह समय भी था, जब ईडी फ्यूचर गेमिंग और उसके प्रमोटरों से जुड़ी सैकड़ों करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त कर रही थी. ऐसे में, वे चुनावी बॉन्ड पर इतना अधिक खर्च कैसे कर सकती है? और किस हद तक?
फ्यूचर गेमिंग द्वारा दिए गए चुनावी चंदा की सबसे बड़े लाभार्थी कौन सी पार्टियां थीं? क्या यह चंदा बीजेपी के लिए अधिक था, जो केंद्र में सत्ता में है या उन क्षेत्रीय दलों के लिए जो उन राज्यों में शासन कर रहे हैं, जहां फर्म के प्रमुख व्यावसायिक हित हैं?
हम ईडी की कार्रवाई और फ्यूचर गेमिंग द्वारा चुनावी बॉन्ड की खरीद के बीच किसी लिंक का आरोप नहीं लगा रहे हैं. हमें यहां बता दें कि ईडी के अलावा, सैंटियागो से जुड़ी फर्मों की जांच कई केंद्रीय एजेंसियों के साथ-साथ राज्य पुलिस बलों द्वारा भी की जा रही है लेकिन लॉटरी कंपनी द्वारा इन बॉन्डों को खरीदने का समय और उनका नेट प्रॉफिट और जितना चंदा दिया गया, उनके बीच पूर्ण असंतुलन है, जो सवाल खड़े करता है.
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