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आप सोचिए कि बिहार के उस परिवार पर क्या बीत रही होगी, जिस परिवार में एक बच्चे की बुखार से मौत हो गई और बाद में उसी परिवार के कुछ लोगों के खिलाफ पुलिस ने केस दर्ज कर लिया. ये कोई काल्पनिक कहानी नहीं है, बिहार के वैशाली जिले के हरिवंशपुर की सच्ची घटना है. दरअसल, हरिवंशपुर भी इंसेफेलाइटिस का दंश झेल रहा है. यहां भी बच्चों की मौत इस बीमारी की वजह से हुई है. ऐसे में पीड़ित परिवार और कुछ स्थानीय साफ पीने के पानी और दूसरी समस्याओं के समाधान के लिए प्रदर्शन कर रहे थे. पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे 39 लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है.
स्थानीय बताते हैं कि यहां के लोगों की अहम दिक्कतों में से एक है, साफ पीने का पानी और बुनियादी स्वास्थ्य सेवाएं. जिन परिवारों ने अपने बच्चे गंवाए और जो यहां के स्थानीय हैं, उन्हें लग रहा था कि सीएम नीतीश कुमार के सामने वो अगर अपनी बात रख पाएंगे तो शायद हालात बेहतर हो सकते हैं. गांव वालों को इसका तरीका यही समझ आया कि नीतीश कुमार जिस रास्ते से मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज जाने वाले हैं, उस रास्ते पर विरोध प्रदर्शन किया जाए. खैर, नीतीश कुमार तो उस रास्ते से नहीं गुजरे. लेकिन सड़क जाम करने के आरोप में 39 लोगों पर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया. इनमें से वो भी लोग हैं जिनके बच्चे की इंसेफेलाइटिस से मौत हो गई.
बता दें कि वैशाली ही नहीं तकरीबन पूरा बिहार ही चमकी बुखार यानी AES के चपेट में हैं. बिहार स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, इंसेफेलाइटिस से राज्य के 40 जिलों में करीब 20 जिले प्रभावित हैं. इस बीमारी से एक जून से अब तक राज्य में 600 से ज्यादा बच्चे पीड़ित हुए हैं, जिसमें से करीब 140 बच्चों की मौत हुई है. मुजफ्फरपुर चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट सूर्यकांत तिवारी ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन और बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे के खिलाफ एक मामले में जांच के आदेश दिए हैं.
यह मामला भी बिहार के मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार यानी इंसेफेलाइटिस के चलते बच्चों की मौतों से जुड़ा है. वहीं 24 जून को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और बिहार सरकार को निर्देश दिया कि वो 7 दिनों के अंदर अपना जवाब दाखिल करें.
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