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एक तरफ जहां दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण सबसे खतरनाक स्तर तक पहुंच चुका है और लोग जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं, वहीं दूसरी तरफ अधिकारी मौज कर रहे हैं. राजधानी दिल्ली के लिए इससे बुरा क्या हो सकता है कि प्रदूषण पर बुलाई गई एक हाई लेवल मीटिंग में कई आला अधिकारी पहुंचे ही नहीं. इस मीटिंग में पर्यावरण मंत्रालय से लेकर डीडीए और एमसीडी के अधिकारियों को शामिल होना था.
न्यूज एजेंसी पीटीआई की खबर के मुताबिक संसदीय पैनल की मीटिंग में मंत्रालय और एमसीडी के कई अफसर गायब रहे. इसमें बताया गया है कि अर्बन डेवलेपमेंट पर बनाई गई स्टैंडिंग कमेटी ने अधिकारियों के इस रवैये पर नाराजगी जताई है. साथ ही उन्होंने बैठक में पहुंचे जूनियर अफसरों के जरिए सीनियर अफसरों तक ये मैसेज पहुंचाया कि उन्हें ऐसी मीटिंग में शामिल होना ही होगा.
इस बैठक में भले ही आला अधिकारी न पहुंचे हों, लेकिन प्रदूषण से जुड़े कुछ मुद्दों पर चर्चा हुई. इस बैठक में कहा गया कि अगर दिल्ली में करीब 50 लाख कारें हैं तो क्या सरकार कोई कार पूल पॉलिसी या फिर रेगुलेशन पॉलिसी ला सकती है? बैठक में एक दूसरा सवाल भी उठाया गया. जिसमें कहा गया कि पिछले एक साल में केंद्र सरकार ने राज्यों को प्रदूषण से निपटने के लिए 1,150 करोड़ रुपये दिए हैं. इसके अलावा 14000 मशीनें भी दी गई हैं. क्या सरकार के पास पैसों के वितरण और सही प्रयोग को लेकर कोई रिपोर्ट है?
बता दें कि दिल्ली में लगातार प्रदूषण का स्तर खतरनाक होता जा रहा है. एयर क्वॉलिटी इंडेक्स 700 के भी पार पहुंच चुका है. हवा में फैले प्रदूषण के चलते लोगों को सांस लेने में भी तकलीफ हो रही है. इस खतरनाक हवा का शिकार सबसे ज्यादा बच्चे और बूढ़े हो रहे हैं. डॉक्टर उन्हें सलाह दे रहे हैं कि ऐसे में मॉर्निंग वॉक के लिए भी बाहर न निकलें.
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