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यूरोपीय संघ (EU) के 23 सांसदों का प्रतिनिधिमंडल 29 अक्टूबर को श्रीनगर पहुंच गया है. ये प्रतिनिधिमंडल आर्टिकल 370 के बेअसर होने के बाद राज्य की 'जमीनी हालात' का आकलन करेगा. प्रतिनिधिमंडल में कुल 27 सांसद शामिल थे, जिनमें से ज्यादातर दक्षिणपंथी या दक्षिणपंथी पार्टियों से थे, लेकिन चार सांसद कश्मीर यात्रा पर नहीं गए. वो अपने-अपने देश लौट गए.
इस मामले पर दिल्ली स्थित यूरोपीय संघ की शाखा ने कहा है कि यह उसका कोई आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल नहीं है. इस प्रतिनिधिमंडल ने 28 अक्टूबर को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजित डोभाल से मुलाकात की थी.
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जम्मू-कश्मीर कांग्रेस ने राज्य के दौरे पर आए EU डेलिगेशन से मिलने पर महासचिव उस्मान माजिद, प्रवक्ता फारूक अंद्राबी और महासचिव सुरिंदर सिंह को कारण-बताओ नोटिस जारी किया है.
कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने तिहाड़ जाते समय EU डेलिगेशन के कश्मीर दौरे पर तंज कसते हुए कहा, " क्या पता ईयू सांसद भारतीय संसद में सरकार के पक्ष में भाषण देने भी आ जाएं."
जम्मू-कश्मीर के दौरे पर आए यूरोपीय संघ (ईयू) के सांसदों ने कहा कि वो भारतीय राजनीति में हस्तक्षेप करने के लिए यहां नहीं आए हैं. उन्होंने कहा कि राजनीति आंतरिक मुद्दा है, लेकिन आतंकवाद वैश्विक समस्या है और इसे समाप्त करने के प्रयासों में वह भारत का पूरा समर्थन करते हैं.
यूरोपीय सांसदों ने अपनी प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि टीम कश्मीर को तथ्यों को देखने आई है. टीम ने राज्य में आतंक को लेकर सेना से बातचीत की. आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में यूरोप भारत के साथ हैं. हालांकि पत्रकारों ने जब उनसे पूछा गया कि क्या वो इस दौरे की रिपोर्ट यूरोपीय संसद में जमा करेंगे, तो उन्होंने कहा कि वो ऐसा नहीं करेंगे.
AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, ये यूरोपीय संघ के सांसदों का आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल नहीं है. इसे दिल्ली में यूरोपीय संघ के ऑफिस से स्वीकार नहीं किया गया है. ये मोदी सरकार की हताशा और भ्रम का एक स्पष्ट संकेत है कि आपको आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल नहीं मिला.
नेशनल पैंथर्स पार्टी (एनपीपी) ने यूरोपीय सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल को कश्मीर दौरे की मंजूरी देने पर केंद्र सरकार पर निशाना साधा हैं. एनपीपी ने कहा- जम्मू क्षेत्र की ओर दुनिया का ध्यान आकर्षित करने के लिए मौका खो दिया.
ब्रिटेन के यूरोपीय संघ के एक वरिष्ठ राजनेता ने मंगलवार को दावा किया है कि भारत ने उनसे कश्मीर दौरा करने वाले प्रतिमंडल में शामिल होने का निमंत्रण वापस ले लिया. उन्होंने दावा किया कि उन्होंने भारत से जम्मू-कश्मीर में पुलिस सुरक्षा के बिना स्थानीय लोगों से बात करने की मांग की थी.
जम्मू-कश्मीर से धारा-370 हटने के बाद यूरोपीय सांसदों के कश्मीर दौरे को लेकर कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने सवाल उठाया है. इस पर बीजेपी का कहना है कि कश्मीर जाने पर अब किसी तरह की रोक नहीं है. देसी-विदेशी सभी पर्यटकों के लिए कश्मीर खोल दिया गया है और ऐसे में विदेशी सांसदों के दौरे को लेकर सवाल उठाने का कोई मतलब नहीं है.
बीजेपी प्रवक्ता शहनवाज हुसैन ने मंगलवार को आईएएनएस से कहा, "कश्मीर जाना है तो कांग्रेस वाले सुबह की फ्लाइट पकड़कर चले जाएं. गुलमर्ग जाएं, अनंतनाग जाएं, सैर करें, घूमें-टहलें. किसने उन्हें रोका है? अब तो आम पर्यटकों के लिए भी कश्मीर को खोल दिया गया है."
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, “मुझे जम्मू-कश्मीर जाने वाले यूरोपीय संसदों के प्रतिनिधिमंडल से कोई आपत्ति नहीं है. मुझे इस पर आपत्ति है कि इस देश के सांसदों को जम्मू-कश्मीर जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है.”
यूरोपीय संघ के सांसदों के प्रतिनिधिमंडल को श्रीनगर में 15 कोर्प हेडक्वार्टर समेत आर्मी सुरक्षा बलों के साथ मीटिंग हुई. उन्होंने प्रतिनिधिमंडल को घाटी में आतंकवाद को बढ़ावा देने में पाकिस्तान की भूमिका और भारत में आतंकवादियों को धकेलने में पाकिस्तानी सेना की भूमिका की जानकारी दी.
नेशनल कॉन्फ्रेंस ने यूरोपीय संघ के सांसदों की जम्मू-कश्मीर यात्रा को "पीआर स्टंट" करार दिया है. नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कहा कि इस तरह का "स्टंट" क्षेत्र में स्थिति का जवाब नहीं है.
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने इस मामले पर कहा है, ‘’कश्मीर में यूरोपियन सांसदों को सैर-सपाटा और हस्तक्षेप की इजाजत लेकिन भारतीय सांसदों और नेताओं को पहुंचते ही हवाई अड्डे से वापस भेजा गया! बड़ा अनोखा राष्ट्रवाद है यह.’’
इससे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा, “जम्मू-कश्मीर के गाइडेड टूर पर यूरोपीय सांसदों का स्वागत किया जा रहा है, जबकि भारतीय सांसदों पर प्रतिबंध है और उनकी एंट्री पर रोक है. इस सबमें कुछ बेदह गलत है.’’
27 सदस्यीय यूरोपीय संघ के प्रतिनिधिमंडल में ब्रिटेन, इटली, जर्मनी, फ्रांस, स्लोवाकिया, पोलैंड, स्पेन, बेल्जियम और चेक रिपब्लिक के सदस्य हैं. लेकिन सिर्फ ब्रिटेन और इटली के एक-एक सदस्यों को छोड़कर बाकी सभी 25 सदस्य या तो धुर दक्षिणपंथी हैं या फिर दक्षिण-पंथ समर्थक (सेंटर-राइट) हैं.
इन देशों की दक्षिणपंथी पार्टियों के सदस्य शामिल हैं-