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कश्मीर का दौरा कर रहे यूरोपीय सांसदों ने बुधवार को अपनी प्रेस कांफ्रेस में कहा कि राज्य के लोग शांति चाहते हैं. कश्मीरी अवाम विकास चाहती है. सांसदों ने सेना से आतंक को लेकर बातचीत की है. भारत एक शांतिप्रिय देश है. यूरोप आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ है. प्रेस कांफ्रेंस में यूरोपीय सांसदों ने कहा कि उनके दौरे को गलत नजरिये से देखा गया. वे नाजीवादी नहीं हैं.
यूरोपीय सांसदों ने अपनी प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि टीम कश्मीर को तथ्यों को देखने आई है. टीम ने राज्य में आतंक को लेकर सेना से बातचीत की. आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में यूरोप भारत के साथ हैं. हालांकि पत्रकारों ने जब उनसे पूछा गया कि क्या वो इस दौरे की रिपोर्ट यूरोपीय संसद में जमा करेंगे, तो उन्होंने कहा कि वो ऐसा नहीं करेंगे.
दरअसल यूरोपीय सांसदों के इस दौरे को पीएम नरेंद्र मोदी का 'पब्लिक रिलेशन' माना जा रहा है. यह भी कहा जा रहा है कि इस डेलिगेशन में ज्यादातर लोग राइट विंगर या सेंटर-राइट विंगर हैं. सांसदों को नाजीवादी और नाजी समर्थक भी कहा जा रहा है. यही वजह है कि यूरोपीय सांसदों के प्रेस कांफ्रेंस में इस मुद्दे पर सफाई दी गई.
सांसदों ने आर्टिकल 370 के बारे में कहा कि यह भारत का आतंरिक मामला है. भारत और पाकिस्तान को शांति के लिए आपस में बातचीत करनी चाहिए. हालांकि जब सांसदों ने पत्रकारों से कश्मीर दौरे के बारे में पूछा तो प्रतिनिधिमंडल ने कहा, उन्हें ज्यादा लोगों से बात करने का मौका नहीं मिला. लेकिन कश्मीर न जाने से अच्छा यह था कि वहां थोड़े वक्त के लिए जाया जाए.
यूरोपीय सांसद मंगलवार को श्रीनगर पहुंचे थे. सांसदों ने स्थानीय नेताओं, अधिकारियों, सरपंचों से मुलाकात की थी. इसके अलावा सभी सांसद श्रीनगर की मशहूर डल झील भी गए थे. कश्मीर घाटी के हालात पर सांसदों ने सेना से भी बात की. उनकी मुलाकात राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल से भी हुई.
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