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यूरोपीय संघ के 27 सांसदों का प्रतिनिधिमंडल 29 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर का दौरा कर रहा है. यह प्रतिनिधिमंडल आर्टिकल 370 के बेअसर होने के बाद वहां की स्थिति का आकलन करेगा. बता दें कि इस प्रतिनिधिमंडल ने 28 अक्टूबर को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल से मुलाकात की.
इससे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा, “जम्मू-कश्मीर के गाइडेड टूर पर यूरोपीय सांसदों का स्वागत किया जा रहा है, जबकि भारतीय सांसदों पर प्रतिबंध है और उनकी एंट्री पर रोक है. इस सबमें कुछ बेदह गलत है.’’
वहीं, इस मामले पर दिल्ली स्थित यूरोपीय संघ की शाखा ने कहा है कि 'यह उसका कोई आधिकारिक प्रतिनिधिमंडल नहीं है.' गौरतलब है कि आर्टिकल 370 बेअसर होने के बाद पहली बार कोई विदेशी दल जम्मू-कश्मीर का दौरा कर रहा है.
इसके साथ ही पीएम मोदी ने उम्मीद जताई कि प्रतिनिधिमंडल के सदस्य क्षेत्र की एक 'बेहतर समझ' और वहां के लिए सरकार की विकास की नीतियों की 'एक स्पष्ट तस्वीर' हासिल कर सकेंगे.
27 सदस्यीय इस प्रतिनिधिमंडल में ब्रिटेन, इटली, जर्मनी, फ्रांस, स्लोवाकिया, पोलैंड, स्पेन, बेल्जियम और चेक रिपब्लिक के सदस्य हैं, लेकिन सिर्फ ब्रिटेन और इटली के एक-एक सदस्यों को छोड़कर बाकी सभी 25 सदस्य या तो धुर दक्षिणपंथी हैं या फिर दक्षिण-पंथ की ओर झुकाव वाले (सेंटर-राइट) हैं.
एनएसए डोभाल ने 28 अक्टूबर को प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों की दोपहर के भोज पर मेजबानी की. उन्होंने पाकिस्तान की तरफ से होने वाले सीमापार आतंकवाद और आर्टिकल 370 बेअसर होने के बाद संवैधानिक बदलावों पर बात की.
प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू से भी मुलाकात की. प्रतिनिधिमंडल से बातचीत के दौरान नायडू ने कहा कि आर्टिकल 370 के प्रावधानों को समाप्त करने का प्रस्ताव 5 और 6 अगस्त को संसद में रखा गया था और इसे दोनों सदनों में ‘‘स्पष्ट मत’’ मिला. नायडू ने यूरोपीय संघ के सांसदों को बताया कि आर्टिकल 370 के प्रावधान शुरू से ही अस्थायी थे.
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