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सुप्रीम कोर्ट ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग EWS को दाखिले और सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण देने वाले 103वें संविधान संशोधन की वैधता पर अपनी मुहर लगा दी. ईडब्ल्यूएस आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करनी वाली बेंच के पांच में से तीन न्यायाधीशों ने ईडब्ल्यूएस आरक्षण को सही ठहराया.
तीनों जजों ने संविधान के 103वें संशोधन अधिनियम 2019 को सही माना है. जिसमें सामान्य वर्ग के लिए 10% EWS आरक्षण प्रदान किया गया है. तीन न्यायाधीश अधिनियम को बरकरार रखने के पक्ष में जबकि 2 ने इसपर असहमति जताई है.
इकॉनमिकल वीकर सेक्शन (EWS) के तहत आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को सरकारी नौकरी से लेकर शिक्षण संस्थाओं में 10 फीसदी आरक्षण देने प्रावधान है. इसके तहत केवल जनरल कैटेगरी के गरीब लोगों को आरक्षण दिया जाएगा यानी वे-
जो एससी, एसटी, ओबीसी नहीं है
जिनकी सालाना आमदनी 8 लाख से कम है
गांव है तो जिसके पास 5 एकड़ से कम खेती की जमीन है या 1000 वर्ग फुट का मकान है
जिस परिवार के पास अधिसूचित निगम में 100 वर्ग गज या गैर-अधिसूचित निगम में 200 वर्गगज प्लॉट का प्लॉट है
सुप्रीम कोर्ट में EWS कोटे पर तीन सवालों को लेकर सुनवाई हुई-
क्या 103वें संविधान संशोधन से आर्थिक आधार पर आरक्षण देना संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन है?
क्या 103वें संविधान संशोधन से निजी स्कूल/कॉलेज में आरक्षण संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन है?
क्या OBC, SC, ST को EWS आरक्षण से बाहर रखना संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन है?
बता दें कि, 103वां संशोधन संविधान में दिए किसी कानून में बदलाव होता है, नई बात जोड़ी जाती है या फिर पूरा का पूरा नया मसौदा ही तैयार कर कानून बनाया जाता है तो उसे संविधान संशोधन कहते हैं. ये काम संसद करती है. 103वें संशोधन से संविधान में आर्टिकल 15(6) और 16(6) को शामिल किया, जिससे EWS को 10 प्रतिशत तक आरक्षण मिलने लगा.
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