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हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के ऊना जिले के हरोली के एक दुकानदार विनोद कुमार कहते हैं, "मुकेश ने यहां कोई समस्या छोड़ दी होती, तो मैं आपको बता देता कि इलाके की समस्याएं क्या हैं."
विनोद जिस 'मुकेश' की बात कर रहे हैं, वह हरोली से कांग्रेस विधायक मुकेश अग्निहोत्री हैं, जो हिमाचल प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता भी हैं.
कई लोगों ने खास तौर से उस पुल का जिक्र किया, क्योंकि इस पुल की वजह से हरोली तक पहुंचने में अब काफी कम समय लगता है. विनोद एक प्रतिबद्ध कांग्रेसी समर्थक नहीं हैं और कहते हैं कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रशंसक हैं.
हिमाचल प्रदेश की कई सीटों पर यही रुझान देखने को मिल रहा है. कांग्रेस के नेताओं ने व्यक्तिगत तौर विधानसभा चुनावों में मोदी फैक्टर को फीका कर दिया है, खासकर उनके अपने इलाकों में.
एक अन्य निवासी राजिंदर शर्मा का कहना है कि विपक्ष के नेता होने के बावजूद मुकेश अग्निहोत्री हमेशा उपलब्ध रहते हैं. राजिंदर कहते हैं, ''वह निर्वाचन क्षेत्र का दौरा करते रहते हैं और उनकी टीम भी फोन पर उपलब्ध रहती है. वह उन नेताओं की तरह नहीं हैं जो एसी में बैठकर लोगों को गर्मी में इंतजार करवाते हैं'.'
राजिंदर का भी कहना है कि उन्होंने 2019 में मोदी को वोट दिया था और 2024 में फिर से ऐसा कर सकते हैं.
वह कहते हैं-
जिन सीटों पर कांग्रेस के पास एक मजबूत उम्मीदवार है, वहां वह चुनावों में स्थानीयता के बूते मोदी फैक्टर और बीजेपी के अकूत संसाधनों, दोनों से मुकाबला कर रही है.
ऐसा ही रुझान चंबा जिले की हाई-प्रोफाइल डलहौजी सीट पर भी देखा जा सकता है, जिस पर वर्तमान में कांग्रेस की वरिष्ठ नेता आशा कुमारी का कब्जा है. बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में इस क्षेत्र में करीब 80 प्रतिशत वोट हासिल किए थे. लेकिन विधानसभा के स्तर पर आशा कुमारी को चुनौती देना मुश्किल हो रहा है, जो इस इलाके के शाही परिवार से भी हैं.
स्थानीय रामलीला समिति में शामिल होने के अलावा परिवहन व्यवसाय से जुड़े संजीव टंडन कहते हैं,
हालांकि कुछ लोगों ने कहा कि डलहौजी में कुछ काम इसीलिए ठप हुआ क्योंकि राज्य में कांग्रेस सत्ता में नहीं थी. बीजेपी समर्थक यही दलील देते हैं. उनका कहना है कि चूंकि केंद्र में बीजेपी ही सरकार बनाएगी, इसलिए स्थानीय और राज्य स्तर पर भी उसकी सरकार होना बेहतर है.
2021 में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की मृत्यु के बाद हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस के लिए नेतृत्व का संकट खड़ा हो गया. एक समय तो ऐसा लग रहा था कि अंदरूनी कलह पार्टी के कई टुकड़े कर देगी.
लेकिन ऐसा लगता है कि पार्टी के नेताओं ने कुछ हद तक आपसी तकरार को भुला दिया है, कम से कम विधानसभा के चुनावी प्रचार के दरम्यान.
जैसे ग्रेटर शिमला रीजन में वीरभद्र सिंह का परिवार है- उनकी पत्नी और मंडी सांसद प्रतिभा सिंह राज्य कांग्रेस प्रमुख हैं और बेटे विक्रमादित्य सिंह शिमला ग्रामीण से उम्मीदवार हैं.
ऊना जिले में मुकेश अग्निहोत्री मुख्य चेहरा हैं, हमीरपुर जिले में सुखविंदर सिंह सुक्खू, मंडी जिले में कौल सिंह ठाकुर और राजिंदर राणा, चंबा जिले में आशा कुमारी, सोलन में धनी राम शांडिल और कांगड़ा जिले में बुटेल परिवार हैं.
इसीलिए किसी एक नेता को वरीयता देना मुसीबत को न्यौता देना हो सकता है, और दूसरे नेताओं की नाराजगी की वजह भी.
बीजेपी समझ गई है कि कांग्रेस मजबूत कांग्रेसी नेताओं के आसरे है, इसीलिए उसने इन इलाकों में मजबूत दावेदार पेश किए हैं और नई परियोजनाओं की शुरुआत की है.
मिसाल के तौर पर, मुकेश अग्निहोत्री के हरोली इलाके में केंद्र की बीजेपी सरकार ने एक बड़े ड्रग पार्क प्रॉजेक्ट की घोषणा की है. स्थानीय स्तर पर डॉ. राम कुमार को इस प्रॉजेक्ट का फायदा उठाने की पूरी छूट दी गई है ताकि बीजेपी के लिए चुनावी समर्थन जुटाया जा सके. वह अब मुकेश अग्निहोत्री के खिलाफ बीजेपी के उम्मीदवार हैं और कहा जाता है कि वह उन्हें कड़ी चुनौती दे रहे हैं.
इसके अलावा डलहौजी में बीजेपी के डीएस ठाकुर के बारे में कहा जाता है कि वह बनीखेत में एक कॉलेज बनवाने की जद्दोजेहद में लगे हैं ताकि इलाके में उच्च शिक्षा संस्थानों की मांग पूरी की जा सके. इसी से इस सीट पर उनका समर्थन बढ़ रहा है और वह आशा कुमारी को कड़ी टक्कर दे रहे हैं.
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