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सुप्रीम कोर्ट ने दाखिले और सरकारी नौकरियों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने वाले 103वें सविधान संशोधन की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अहम फैसला सुनाते हुए EWS आरक्षण को बरकरार रखा है. आइये जानते हैं कोर्ट के इस फैसले पर नेता क्या कह रहे हैं?
पूर्व सांसद और कांग्रेस नेता उदित राज ने इस फैसले पर विरोध जताया. उन्होंने ट्वीट किया, "सुप्रीम कोर्ट जातिवादी है, अब भी कोई शक! EWS आरक्षण की बात आई तो कैसे पलटी मारी कि 50% की सीमा संवैधानिक बाध्यता नहीं है लेकिन जब भी SC/ST/OBC को आरक्षण देने की बात आती थी तो इंदिरा साहनी मामले में लगी 50% की सीमा का हवाला दिया जाता रहा."
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, इसका उल्लेख करना जरूरी है कि सामाजिक और आर्थिक जनगणना को 2012 में पूरा कर लिया गया था, और उस वक्त मैं ग्रामीण विकास मंत्री था. मोदी सरकार को स्पष्ट करना होगा कि ताजा जाति जनगणना को लेकर उसका क्या रुख है. कांग्रेस इसका समर्थन करती है और इसकी मांग भी करती है.
महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम देवेन्द्र फडणवीस ने कहा, सुप्रीम कोर्ट ने पीएम मोदी के 10% ईडब्ल्यूएस आरक्षण कोटा को हरी झंडी दी, जिससे नए शैक्षिक और रोजगार के अवसर पैदा होंगे. आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को ईडब्ल्यूएस आरक्षण प्रदान किया जाएगा जो किसी भी जाति आरक्षण में शामिल नहीं हैं.
बीजेपी नेता सुशील कुमार मोदी ने ट्वीट कर लिखा, "आर्थिक रूप से पिछड़ों को मोदी सरकार द्वारा 10 % आरक्षण को Supreme Court द्वारा अपनी सहमति प्रदान करना एक एतिहासिक निर्णय है. लालू की RJD अकेली पार्टी थी जिसने संसद में इसका विरोध किया था."
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