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पूर्व सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा को लंबे चले विवाद के बाद आखिरकार अपना इस्तीफा देना पड़ा. सुप्रीम कोर्ट की तरफ से क्लीन चिट मिलने के बाद उन्होंने ऑफिस जॉइन किया और पहले ही दिन कई बड़े फैसले लिए. लेकिन दूसरे दिन सेलेक्ट कमिटी की मीटिंग में उन्हें ही हटाने का फैसला ले लिया गया. उन्हें फायर सेफ्टी डिपार्टमेंट का डीजी बना दिया गया, जिसके बाद आखिरकार उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. पढ़िए आलोक वर्मा ने अपने इस्तीफे में क्या लिखा.
आलोक वर्मा ने लिखा, 10 जनवरी 2019 के आदेश के मुताबिक सीबीआई से मेरा ट्रांसफर कर मुझे फायर सर्वेसेज, सिविल डिफेंस एंड होम गार्ड के डीजी बनाया गया है. सेलेक्शन कमिटी ने मुझे सीवीसी की तरफ से लगाए गए आरोपों पर सफाई देने का मौका नहीं दिया. पूरी प्रोसेस को इस तरह से बदल दिया गया जिससे मुझे सीबीआई डायरेक्टर के पद से हटाया जाए. सेलेक्शन कमिटी ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया सीवीसी ने अपनी रिपोर्ट में उस व्यक्ति के आरोपों को आधार बनाया है जिसके ऊपर सीबीआई की जांच चल रही है.
अपने इस्तीफे में आगे लिखते हुए वर्मा ने कहा, सीवीसी ने शिकायत करने वाले के बयान को ही आगे बढ़ाया और वो व्यक्ति कभी भी इस जांच की निगरानी करने वाले रिटायर्ड जस्टिस एके पटनायक के सामने पेश ही नहीं हुए.
वर्मा ने लिखा, सीबीआई जैसी संस्था लोकतंत्र की सबसे मजबूत संस्थाओं में से एक है. गुरुवार को जो फैसला लिया गया है उससे मेरे कामकाज पर तो असर पड़ेगा ही, साथ में यह बात भी सामने आएगी कि कोई सरकार सीवीसी के जरिए सीबीआई के साथ कैसा व्यवहार कर सकती है. इन्हें सत्ता में बैठी सरकार के सदस्य ही नियुक्त करते हैं. यह समय सामूहिक आत्ममंथन का है.
इसके बाद उन्होंने अपने बेदाग रिकॉर्ड के बारे में भी बातें लिखीं. उन्होंने लिखा कि मैंने इन चार दशकों में कई बड़े संगठनों में काम किया है और उनका नेतृत्व भी किया है. मैं सभी संगठनों और भारतीय पुलिस सर्विस का धन्यवाद देना चाहता हूं.
आलोक वर्मा ने अपने इस्तीफे में लिखा कि मैंने 31 जुलाई 2017 को ही अपनी सेवा पूरी कर ली थी. इसके बाद 31 जनवरी तक सीबीआई डायरेक्टर के तौर पर सेवा पर था, इस पद पर दो साल तक मेरा कार्यकाल था. अब मैं सीबीआई डायरेक्टर नहीं हूं और फायर सर्विसेज के डीजी पद की उम्र सीमा को पार कर चुका हूं, इसलिए मुझे अब रिटायर माना जाए.
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