Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019इस्तीफे में झलका आलोक वर्मा का दर्द, सरकारों को दे गए कुछ ऐसा सबक

इस्तीफे में झलका आलोक वर्मा का दर्द, सरकारों को दे गए कुछ ऐसा सबक

आलोक वर्मा ने अपने इस्तीफे में कई बातें लिखीं, जो सरकारों के लिए सबक की तरह हैं

क्विंट हिंदी
भारत
Updated:
(फोटो:Bloomberg Quint)
i
null
(फोटो:Bloomberg Quint)

advertisement

पूर्व सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा को लंबे चले विवाद के बाद आखिरकार अपना इस्तीफा देना पड़ा. सुप्रीम कोर्ट की तरफ से क्लीन चिट मिलने के बाद उन्होंने ऑफिस जॉइन किया और पहले ही दिन कई बड़े फैसले लिए. लेकिन दूसरे दिन सेलेक्ट कमिटी की मीटिंग में उन्हें ही हटाने का फैसला ले लिया गया. उन्हें फायर सेफ्टी डिपार्टमेंट का डीजी बना दिया गया, जिसके बाद आखिरकार उन्हें इस्तीफा देना पड़ा. पढ़िए आलोक वर्मा ने अपने इस्तीफे में क्या लिखा.

जानबूझकर न्याय नहीं दिया गया

आलोक वर्मा ने लिखा, 10 जनवरी 2019 के आदेश के मुताबिक सीबीआई से मेरा ट्रांसफर कर मुझे फायर सर्वेसेज, सिविल डिफेंस एंड होम गार्ड के डीजी बनाया गया है. सेलेक्शन कमिटी ने मुझे सीवीसी की तरफ से लगाए गए आरोपों पर सफाई देने का मौका नहीं दिया. पूरी प्रोसेस को इस तरह से बदल दिया गया जिससे मुझे सीबीआई डायरेक्टर के पद से हटाया जाए. सेलेक्शन कमिटी ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया सीवीसी ने अपनी रिपोर्ट में उस व्यक्ति के आरोपों को आधार बनाया है जिसके ऊपर सीबीआई की जांच चल रही है.

1979 बैच के AGMUT काडर के IPS अफसर आलोक वर्मा पिछले 70 से ज्यादा दिनों से छुट्टी पर थे, सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद उन्होंने बुधवार को ऑफिस जॉइन किया और एक्शन मोड में दिखने लगे. लेकिन उनके इस एक्शन पर सरकार ने उन्हें सीबीआई डायरेक्टर के पद से हटाकर ब्रेक लगा दिया. 

शिकायत करने वाले नहीं हुए पेश

अपने इस्तीफे में आगे लिखते हुए वर्मा ने कहा, सीवीसी ने शिकायत करने वाले के बयान को ही आगे बढ़ाया और वो व्यक्ति कभी भी इस जांच की निगरानी करने वाले रिटायर्ड जस्टिस एके पटनायक के सामने पेश ही नहीं हुए.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

सरकारें उठाएंगी सीवीसी का फायदा

वर्मा ने लिखा, सीबीआई जैसी संस्था लोकतंत्र की सबसे मजबूत संस्थाओं में से एक है. गुरुवार को जो फैसला लिया गया है उससे मेरे कामकाज पर तो असर पड़ेगा ही, साथ में यह बात भी सामने आएगी कि कोई सरकार सीवीसी के जरिए सीबीआई के साथ कैसा व्यवहार कर सकती है. इन्हें सत्ता में बैठी सरकार के सदस्य ही नियुक्त करते हैं. यह समय सामूहिक आत्ममंथन का है.

आलोक वर्मा को हटाते ही उनकी जगह नागेश्वर राव को फिर से चार्ज मिला. जिसके बाद एक बार फिर राव ने वर्मा के सभी फैसले रद्द कर दिए. वर्मा ने ऑफिस जॉइन करते ही कुछ ट्रांसफर ऑर्डर वापस लिए थे और कुछ अधिकारियों को ट्रांसफर कर दिया था. जिन्हें पलट दिया गया है. 

मेरा बेदाग रिकॉर्ड

इसके बाद उन्होंने अपने बेदाग रिकॉर्ड के बारे में भी बातें लिखीं. उन्होंने लिखा कि मैंने इन चार दशकों में कई बड़े संगठनों में काम किया है और उनका नेतृत्व भी किया है. मैं सभी संगठनों और भारतीय पुलिस सर्विस का धन्यवाद देना चाहता हूं.

2017 में हो गई थी सेवा पूरी

आलोक वर्मा ने अपने इस्तीफे में लिखा कि मैंने 31 जुलाई 2017 को ही अपनी सेवा पूरी कर ली थी. इसके बाद 31 जनवरी तक सीबीआई डायरेक्टर के तौर पर सेवा पर था, इस पद पर दो साल तक मेरा कार्यकाल था. अब मैं सीबीआई डायरेक्टर नहीं हूं और फायर सर्विसेज के डीजी पद की उम्र सीमा को पार कर चुका हूं, इसलिए मुझे अब रिटायर माना जाए.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 11 Jan 2019,09:55 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT