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लोन घोटाला केस में SBI के पूर्व अध्यक्ष प्रतीप चौधरी गिरफ्तार

कोर्ट ने प्रतीप चौधरी की जमानत याचिका खारिज कर दी और उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.

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भारत
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<div class="paragraphs"><p>प्रतीप चौधरी पर अनियमितता और धोखाधड़ी का आरोप है. </p></div>
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प्रतीप चौधरी पर अनियमितता और धोखाधड़ी का आरोप है.

(फोटो: ट्विटर)

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राजस्थान पुलिस ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के पूर्व अध्यक्ष प्रतीप चौधरी को गिरफ्तार किया है. प्रतीप चौधरी को लोन घोटाला मामले में जैसलमेर सदर पुलिस ने उनके दिल्ली के घर से गिरफ्तार किया है.

गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने एसबीआई के पूर्व प्रमुख को अदालत में पेश किया था, पूर्व प्रमुख की जमानत याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी और उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.

प्रतीप चौधरी पर अनियमितता और धोखाधड़ी का आरोप है. प्रतीप चौधरी को जैसलमेर के एक होटल प्रोजेक्ट से जुड़े एक मामले में आरोपी बनाया गया है. उनपर 200 करोड़ रुपये की संपत्ति के एक होटल को नॉन परफॉर्मिंग एसेट (एनपीए) घोषित करने के बाद 25 करोड़ रुपये की कम कीमत पर बेचने का आरोप है. आरोप है कि जब प्रतीप चौधरी एसबीआई के अध्यक्ष थे तब इन्होंने दोनों होटलों को एल्केमिस्ट एआरसी कंपनी (Alchemist ARC company) को 25 करोड़ रुपये में बेच दिया गया था.

एसबीआई ने क्या कहा

एक बयान में एसबीआई ने कहा, "एल्केमिस्ट एआरसी कंपनी को उक्त बिक्री करते समय सभी उचित प्रक्रिया का पालन किया गया था." पुलिस कार्रवाई पर बैंकरों की भी तीखी प्रतिक्रिया आई है. एसबीआई के पूर्व चेयरमैन रजनीश कुमार ने कहा,

'चौधुरी की गिरफ्तारी से बैंकिंग उद्योग खफा है. यह सही बात नहीं है. इस मामले में कोई भ्रष्टाचार नहीं है. बैंकिंग उद्योग में हर कोई इसे सही जानता है."
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वहीं भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने एक बयान जारी करते हुए कहा है कि सितंबर 2013 में चौधरी के रिटायरमेंट के बाद मार्च 2014 में होटल प्रोजेक्ट को उचित प्रक्रिया के साथ बेचा गया था. बताया जा रहा है कि SBI ने 2007 में एक होटल प्रोजेक्ट 'गढ़ राजवाड़ा' को फाइनेंस किया था. तीन साल बीत जाने के बाद भी प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो पाया. वहीं साल 2010 में प्रोजेक्ट के प्रमुख प्रमोटर का निधन हो गया.

जैसलमेर पुलिस के मुताबिक जैसलमेर के एसपी अजय सिंह के निर्देशन में रविवार को एक टीम ने चौधरी को उनके दिल्ली स्थित आवास से गिरफ्तार किया. सिंह के अनुसार, वह भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी और बेईमानी से संपत्ति की डिलीवरी के लिए प्रेरित करना), 409 (लोक सेवक, या बैंकर, व्यापारी या एजेंट द्वारा आपराधिक विश्वासघात) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत एक आरोपी हैं.

एडिशनल एसपी नरेंद्र चौधरी ने बताया,

"जैसलमेर में करीब 200 करोड़ रुपये की फाइव स्टार प्रॉपर्टी थी. डिफॉल्ट के बाद (संपत्ति मालिकों द्वारा) इसे बेचने के लिए - एसबीआई के उच्चतम स्तरों द्वारा - इसे बेचने का निर्णय लिया गया था. और बैंक ने इसे करीब 25 करोड़ रुपये में बेच दिया. इस तरह एक खास समूह को 175 करोड़ रुपये का मुनाफा हुआ. उन्होंने प्रक्रिया का पालन किया, लेकिन इरादा दुर्भावनापूर्ण था.”

बताया जा रहा है कि गढ़ रजवाड़ा जैसलमेर में गोदावन समूह द्वारा प्रवर्तित एक होटल परियोजना थी. परियोजना वर्षों से अधूरी रही और प्रमुख प्रमोटर का अप्रैल 2010 में निधन हो गया. चौधरी, जो सितंबर 2013 में दो साल के कार्यकाल के बाद एसबीआई के अध्यक्ष के रूप में रिटायर हुए, वो अक्टूबर 2014 में एल्केमिस्ट एआरसी के बोर्ड में शामिल हुए थे.

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