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लोकसभा चुनाव से पहले महाराष्ट्र सरकार ने धनगर समाज को खुश करने के लिए कई बड़े ऐलान किए. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट सब कमेटी की बैठक में ये तय हुआ है कि टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साईंसेस की ओर से धनगर समाज को लेकर तैयार की रिपोर्ट को एडवोकेट जनरल को सौंप कर धनगर आरक्षण को लेकर आगे की करवाई पूरी करने फैसला लिया है.
इसके साथ ही राज्य में आदिवासी समाज को मिलने वाली सुविधाओं को भी राज्य में धनगरों के लिए लागू करने का फैसला लिया गया है.
धनगर समाज को महाराष्ट्र में NT कोटे का आरक्षण पहले से लागू है, लेकिन उनकी मांग है कि ST आरक्षण में शामिल किया जाए. दरसल समाज का कहना है कि दूसरे राज्यों में धनगर को धनगर कहा जाता है. इसलिए उनको ST आरक्षण की सुविधा मिलती है, लेकिन महाराष्ट्र में उनके समाज को यहां वो लाभ नहीं दिया जाता.
2014 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष और मौजूदा मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने धनगर समाज को आश्वासन दिया था कि अगर महाराष्ट्र में बीजेपी की सरकार आती है तो कुछ दिनों में ही धनगरों को ST आरक्षण में शामिल करने को लेकर सरकार फैसला लेगी.
हालांकि पिछले साढ़े चार सालों में धनगर समाज को ST आरक्षण में शामिल करने पर कोई फैसला नहीं लिया गया. सिर्फ TISS को धनगर समाज को कैसे ST आरक्षण में लाया जाए इसके लिए एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी सौंपी थी. TISS की रिपोर्ट आए भी काफी दिन हो चुके हैं लेकिन अब जब चुनाव सर पर है तो मुख्यमंत्री फडणवीस धनगर समाज को ST आरक्षण दिए बिना कुछ सुविधाएं लागू कर खुश करने की तैयारी में है.
सवाल ये है कि सीएम फडणवीस का धनगर समाज के लिए चुनाव से पहले उठाया गया ये कदम क्या बीजेपी शिवसेना गठबंधन के लिए फायदेमंद साबित होगा?
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