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पंजाब-हरियाणा बॉर्डर (Punjab Haryana Border) पर 22 साल के किसान शुभकरण सिंह की मौत के दो दिन बाद, किसानों के नेतृत्व वाला 'दिल्ली चलो' (Farmers Protest) मार्च शुक्रवार, 23 फरवरी को फिर से शुरू हो रहा है. इसी बीच पंजाब सरकार ने शुभकरण के परिवार को 1 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया है.
किसान नेताओं ने 23 फरवरी को "काला दिवस" (Black Friday) के रूप में मनाने की अपील की है. भारती किसान यूनियन (सिद्धूपुर) के अध्यक्ष जगजीत सिंह डल्लेवाल और किसान मजदूर संघर्ष समिति के संयोजक सरवन सिंह पंढेर ने पंजाब सरकार से सिंह को "शहीद" घोषित करने की मांग की और लोगों से अपने घरों, दुकानों और वाहनों पर काले झंडे फहराने की अपील की है.
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने ट्वीट कर कहा कि, खनौरी बॉर्डर पर किसान आंदोलन के दौरान शहीद हुए शुभकरन सिंह के परिवार को पंजाब सरकार की ओर से 1 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता और उनकी छोटी बहन को सरकारी नौकरी दी जाएगी.. दोषियों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई की जाएगी ..फर्ज निभा रहे हैं..."
किसान आंदोलन से जुड़े संगठनों और नेताओं के खिलाफ हरियाणा पुलिस ने राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई शुरू की थी जिसे अब वापस ले लिया गया है.
अंबाला रेंज के आईपीएस IGP सिबाश कबिराज ने कहा कि, "सभी संबंधित पक्षों को यह स्पष्ट किया जाता है कि अंबाला के कुछ किसान नेताओं पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम के प्रावधानों को लागू करने के मामले पर पुनर्विचार किया गया है और यह निर्णय लिया गया है कि इसे लागू नहीं किया जाएगा. हरियाणा पुलिस सभी प्रदर्शनकारियों और उनके नेताओं से शांति बनाए रखने और कानून व्यवस्था बनाए रखने में सहयोग करने का अनुरोध करती है."
इससे पहले किसानों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई की बात कही गई थी.
पंजाब की अंबाला पुलिस ने अपने एक ट्वीट में कहा कि आंदोलन के दौरान हुई सरकारी संपत्तियों के नुकसान की भरपाई आंदोलनकारियों से की जाएगी. इसके लिए उनकी संपत्ति की कुर्की और बैंक खातों को सीज करने की कार्यवाही शुरू कर दी गई है. हालांकि पुलिस ने ये नहीं बताया कि ये भरपाई किस तरह से की जाएगी.
संयुक्त किसान मोर्चा ने अपनी बैठक में फैसला लिया है कि वे 26 फरवरी से ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे, किसानों की मांग है कि भारत विश्व व्यापार संगठन (WTO) से खुद को बाहर निकाल ले, दरअसल WTO भारत पर कृषि पर देने वाली सब्सिडी को रोकने के लिए दबाव बना रहा है.
वहीं इस बैठक में ये भी फैसला लिया गया कि, किसान अपनी मांगों को पूरा करने के लिए 14 मार्च को दिल्ली में किसान महापंचायत आयोजित करेंगे.
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