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(चेतावनी: स्टोरी में हिंसा और यौन उत्पीड़न का जिक्र है)
Sandeshkhali Violence: ''संदेशखाली की महिलाओं का वर्षों से यौन और सामाजिक आर्थिक शोषण किया जा रहा है, लेकिन हम किसी को भी बताने से डरते थे.'' ये बातें पश्चिम बंगाल के एक गांव की रहने वाली 29 वर्षीय रोमा मैती (बदला हुआ नाम) ने द क्विंट से कही है. "तृणमूल कांग्रेस (TMC) के लोग हमें देर रात 'पार्टी' मीटिंग के नाम पर पार्टी कार्यालय में बुलाते थे. वे हमें घंटों तक वहां रोके रखते थे. वे हमसे अपने लिए खाना बनाने और उनके साथ भोजन करने के लिए कहते थे - हमने उनसे विनती की कि हमें जाने दें क्योंकि हमारे परिवार घर पर हमारा इंतजार कर रहे है, लेकिन उन्होंने हमारी बात सुनने से इनकार कर दिया.''
राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा के मुताबिक, सोमवार, 19 फरवरी तक क्षेत्र की अलग-अलग महिलाओं से कम से कम 18 शिकायतें मिली हैं.
अन्य बातों के अलावा, महिलाओं ने आरोपी टीएमसी नेताओं पर बलात्कार, जमीन हड़पने और बकाया भुगतान न करने का आरोप लगाया है. 18 में से दो शिकायतें बलात्कार से संबंधित हैं.
26 वर्षीय माला मंडल (बदला हुआ नाम) ने द क्विंट को बताया कि कैसे उन्हें और उनके परिवार को 2019 से कथित तौर पर उत्पीड़न का शिकार होना पड़ रहा है.
वह पूछती है, "शिबू हाजरा मेरे फोन पर अजीब समय पर कॉल करते थे और मुझसे पार्टी कार्यालय आने के लिए कहते थे. अगर मैं कॉल रिसीव नहीं करती थी, तो वह मेरे पति या पिता को फोन करते थे, मेरे बारे में पूछते थे और फिर उन्हें मुझे तुरंत पार्टी कार्यालय में भेजने के लिए कहते थे. कोई किसी महिला को देर रात पार्टी कार्यालय में क्यों बुलाएगा?"
वह आगे कहती हैं, "एक दिन, मैंने पार्टी कार्यालय जाने और उत्पीड़न को रोकने का फैसला किया. वहां, उन्होंने मुझसे एक अश्लील डांस स्टेप करने और उनका 'मनोरंजन' करने के लिए कहा. जब मैंने इनकार किया, तो उन्होंने मेरे पति को संदेशखाली से बाहर स्थानांतरित करने की धमकी दी. मुझे उनकी मांगें मानने के लिए मजबूर होना पड़ा.''
वह आगे दावा करती हैं कि उनके पति ने हाजरा के डर से उन्हें मामले की पुलिस रिपोर्ट करने से रोक दिया.
मंडल का आरोप है कि विवाहित युवा महिलाएं इन लोगों का निशाना होती थीं. वह आगे कहती हैं, "वे अक्सर उन्हें अकेला करते और परेशान करते थे."
वहीं मैती का आरोप है कि अगर कोई महिला शिकायत भी करती तो भी पुलिस उसकी मदद नहीं करती.
वह कहती हैं कि हम अभी भी डर में जी रहे हैं, "जबकि हाजरा और सरकार जेल में बंद हैं, लेकिन आपको याद रखना होगा कि शाहजहां शेख अभी भी आजाद है और बाहर है - और वह शक्तिशाली भी है."
शेख एक महीने से ज्यादा वक्त से फरार है. प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों की छापेमारी के बाद स्थानीय महिलाओं ने सिलसिलेवार विरोध प्रदर्शन किया, महिलाओं ने कथित तौर पर शेख और उसके करीबी सहयोगियों के हाथों यौन उत्पीड़न और हिंसा के खिलाफ आवाज उठाई थी.
मिनाती दास (बदला हुआ नाम) ने द क्विंट को बताया कि शाहजहां शेख और उसके सहयोगियों ने संदेशखाली में "आतंक का शासन" बनाया है.
दास ने आरोप लगाते हुए कहा, "मेरी भतीजी को इन लोगों ने बार-बार बुलाया, पिछले दिसंबर में, वे घर आए और उसे पार्टी कार्यालय ले गए. उन्होंने उसे लंबे समय तक घर आने से मना कर दिया और यहां तक कि उसे जातिसूचक नाम भी दिए और फोन करके उसे अपमानित किया. उसे 'नीचू जात मोहिला' (नीची जाति की महिला) कहकर अपमानित करते थे और उसके साथ मारपीट की.''
वह कहती हैं कि जब उन्होंने संदेशखाली पुलिस स्टेशन से संपर्क किया, तो पुलिस ने उनकी शिकायत दर्ज करने से इनकार कर दिया.
हालांकि संदेशखाली थाना पुलिस ने इस घटना से इनकार किया है.
संदेशखाली पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी बिस्वजीत सपुई ने द क्विंट को बताया, "हमें किसी भी व्यक्ति द्वारा ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली कि उनके परिवार के किसी सदस्य को टीएमसी के कुछ लोग जबरदस्ती ले गए हों, तो फिर इनकार करने का सवाल ही कहां उठता है?"
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और टीएमसी नेताओं के बीच राजनीतिक खींचतान और विरोध प्रदर्शन के बीच संदेशखाली का दौरा करने वाले वरिष्ठ टीएमसी नेता पार्थ भौमिक ने रविवार, 18 फरवरी को संवाददाताओं से कहा कि टीएमसी में "किसी भी गलत काम के प्रति जीरो टॉलरेंस है. "
उन्होंने कहा, "यह ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस है, भारतीय जनता पार्टी नहीं, अगर कोई कुछ भी गलत करता पाया जाता है तो हम कार्रवाई करते हैं."
हालांकि, नाम नहीं छापने की शर्त पर पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने आगामी लोकसभा चुनावों के नतीजों पर संदेशखाली की घटना के असर को देखते हुए चिंता व्यक्त की है.
इसके अलावा, "संदेशखाली में महिलाओं के सामने आने वाले गंभीर मुद्दों को नजरअंदाज करने" के आरोप की वजह से टीएमसी की वर्तमान बशीरहाट सांसद नुसरत जहां, जो एक बंगाली फिल्म अभिनेत्री भी हैं विपक्षी पार्टी बीजेपी के निशाने पर हैं.
एक नेता का मानना है कि, "संदेशखाली में मौजूदा स्थिति हमारी रणनीति के साथ-साथ हारोआ और मिनाखान जैसे पड़ोसी क्षेत्रों का परिणाम है, जहां अल्पसंख्यक समुदाय के ताकतवर लोग हैं. इससे आरएसएस को यहां अपनी उपस्थिति मजबूत करने की जगह मिल गई है. संदेशखाली में, पिछले तीन-चार सालों से, आरएसएस ने नियमित रूप से शिविर आयोजित किए हैं और बहुसंख्यक समुदाय के टीएमसी नेताओं ने उन्हें बढ़ने दिया है,''
इस बीच, 20 फरवरी को पश्चिम बंगाल पुलिस के इंटेलिजेंस ब्यूरो के स्पेशल सुपरिटेंडेंट जसप्रीत सिंह और बीजेपी नेताओं के बीच तीखी नोकझोंक हुई,
जसप्रीत सिंह ने आरोप लगाया कि बीजेपी नेता अग्निमित्रा पॉल ने उन्हें 'खालिस्तानी' कहा है. ये मामला तब हुआ जब सिंह ने पॉल समेत कई बीजेपी नेताओं को संदेशखाली जाने से रोका था.
बाद में, एबीसी पंजाबी के साथ एक इंटरव्यू में जसप्रीत सिंह ने आरोप लगाया कि बीजेपी नेता सुवेंदु अधिकारी ने उन्हें 'खालिस्तानी' कहा था, वहीं सुवेंदु अधिकारी ने पश्चिम बंगाल पुलिस को 24 घंटे के अंदर अपने आरोपों को साबित करने की चुनौती दी थी
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