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राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी की हार के पीछे सबसे बड़ा मुद्दा किसानों की नाराजगी बताया गया. मोदी सरकार को भी आभास है कि गांव की जनसंख्या उनसे कुछ खास खुश नहीं है और हो सकता है कि आगामी लोकसभा चुनाव में किसानों के मुद्दे ही कहीं उन्हें गद्दी से न उतार दें. ऐसे में खबरें आ रही हैं कि किसानों के लिए मोदी सरकार ने एक बड़े पैकेज पर काम करना शुरू कर दिया है. इंडियन एक्सप्रेस में छपी खबर के मुताबिक एनडीए सरकार ब्याज मुक्त लोन, बिना शर्त या सिक्योरिटी का लोन और एक इनकम सपोर्ट स्कीम पर काम कर रही है.
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक कृषि मंत्रालय नीति आयोग से बातचीत में लगा हुआ है और एक ऐसे प्लान की तैयारी चल रही है जिससे छोटे और मंझले किसानों को डायरेक्ट फायदा दिया जा सके. हो सकता है कि किसानों को 3 लाख रुपए तक के लोन पर कोई भी ब्याज न देना पड़े.
वहीं किसानों को सिक्योरिटी फ्री या यूं कहें बेशर्त लोन का भी जिक्र चल रहा है. इस लोन की सीमा 2 से 3 लाख रखी जा सकती है. हालांकि बैंक इस तरह के लोन के लिए राजी नहीं हैं जब तक कि सरकार क्रेडिट गारंटी मैकेनिज्म जैसे कदम को न उठाएं. बैंकर्स और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया हमेशा के कर्ज माफी के खिलाफ रहे हैं.
सरकारी सूत्रों का कहना है कि वित्त मंत्रालय ने तमाम मंत्रालयों और डिपार्टमेंट्स से नई स्कीम के लिए जरूरी फंडिंग की सूचनाएं मंगवानी शुरू कर दी हैं. उम्मीद लगाई जा रही है कि सरकार के अंतरिम बजट में इस पैकेज की घोषणा हो सकती है.
हालांकि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की रिसर्च रिपोर्ट कहती है कि इनकम सपोर्ट स्कीम कर्ज माफी या ब्याज मुक्त लोन से बेहतर कदम होगा. एसबीआई के मुताबिक, “किसान कर्ज माफी इस दिक्कत का समाधान नहीं है. हमें किसानों की आमदनी को बढ़ाना होगा इसलिए जरूरी है कि ऑल इंडिया लेवल पर इनकम सपोर्ट स्कीम शुरू की जाए. ”
देश में इस वक्त 21.6 करोड़ छोटे और मंझले किसान हैं. इनमें से ज्यादातर अपना कर्ज नहीं लौटा सकते या फिर नया लोन लेने के लिए इनके पास गिरवी रखने को कुछ नहीं है. ऐसे में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की रिपोर्ट कहती है कि हर एक परिवार को दो किश्तों में सालाना 12 हजार रुपए दिए जाएं. इससे सरकार पर 50,000 करोड़ का भार आएगा.
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