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किसानों और सरकार के बीच बातचीत पटरी से उतर गयी है. 23 फसलों पर एमएसपी (MSP) की कानूनी गारंटी की मांग कर रहे किसानों ने सरकार के '5 फसल पर 5 साल तक MSP' देने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. किसान नेताओं ने साफ कर दिया है कि 21 फरवरी से फिर से दिल्ली मार्च (Farmers Protest) शुरू होगा.
यह फैसला मौजूदा किसान आंदोलन में भाग लेने रहे दो संगठनों- किसान मजदूर संघर्ष समिति (केएमएससी) और संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) के किसान नेताओं ने लिया है.
मीडिया से बात करते हुए किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा, ''...दोनों मंचों की चर्चा के बाद ये तय हुआ है कि विश्लेषण करें तो सरकार के प्रस्ताव में कुछ भी नजर नहीं आ रहा है... ये किसानों के पक्ष में नहीं है. हम इसे खारिज करते हैं.''
पंजाब किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के महासचिव सरवन सिंह पंढ़ेर ने 'दिल्ली चलो' मार्च पर कहा कि, “केंद्र चर्चा में कुछ और कहता है और बाहर प्रेस कॉन्फ्रेंस में बोलते समय कुछ और कहता है. हमने कोई प्रस्ताव नहीं दिया है. हम 21 फरवरी को सुबह 11 बजे दिल्ली की ओर बढ़ेंगे.”
जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा, "पांच फसलों पर एमएसपी देंगे तो बाकी किसानों का क्या होगा? हमारी मांग है कि पूरे देश में किसानों की 23 फसलों पर एमएसपी दी जाए, सीएसीपी के अनुसार एसएसपी दी जाए ताकी किसान अपना पालन-पोषण कर सके, अगर सरकार मांग पूरी नहीं करेगी तो देश का किसान लूटा जाएगा, जो हमें स्वीकार नहीं है."
एमएसपी की कानूनी गारंटी के अलावा, किसान स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, कृषि कर्ज माफी, बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं, इससे पहले हुए किसान आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज हुए मामलों को वापस लेने और उस दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने, लखीमपुर खीरी हिंसा में मारे गए किसानों को न्याय देने, भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 की बहाली की मांग कर रहे हैं.
सरकार ने एक आदेश में कहा कि ये जिले अंबाला, कुरूक्षेत्र, कैथल, जिंद, हिसार, फतेहाबाद और सिरसा हैं. सरकार ने इससे पहले 13, 15 और 17 फरवरी को बैन बढ़ाया था.
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