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राहुल,प्रियंका,सचिन किसानों के समर्थन में रैलियों की कर रहे अगुवाई

राजस्थान कांग्रेस के नेता सचिन पायलट भी कृषि कानूनों के विरोध में भारी भीड़ जुटा रहे हैं.

आईएएनएस
भारत
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राहुल,प्रियंका,सचिन किसानों के समर्थन में रैलियों की कर रहे अगुवाई
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राहुल,प्रियंका,सचिन किसानों के समर्थन में रैलियों की कर रहे अगुवाई
(फोटो: IANS)

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कृषि कानूनों के विरोध में कांग्रेस के प्रदर्शन का नेतृत्व करते हुए राहुल गांधी ने केरल में एक ट्रैक्टर रैली में भाग लिया, जबकि प्रियंका गांधी वाड्रा मंगलवार को मथुरा में किसान पंचायत को संबोधित करने के लिए तैयार हैं. यहां तक कि राजस्थान कांग्रेस के नेता सचिन पायलट भी कृषि कानूनों के विरोध में भारी भीड़ जुटा रहे हैं. राहुल गांधी ने सोमवार को केरल के वायनाड में कृषि कानूनों के खिलाफ एक रैली को संबोधित करते हुए कहा, हम इन कानूनों का विरोध करते हैं. हम सुनिश्चित करेंगे कि सरकार इन कानूनों को वापस लेने के लिए मजबूर हो. हम किसानों के साथ खड़े हैं, हम उनकी मदद करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि बीजेपी सरकार इन कानूनों को वापस ले.

पश्चिमी यूपी में 'मोर्चा' संभाल रही हैं प्रियंका गांधी

राहुल गांधी मल्लपुरम में भी इस मुद्दे को उठाने के लिए तैयार हैं, जहां वे मंगलवार को एक रैली को संबोधित करेंगे. उनकी बहन और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान पंचायतों की एक सीरीज का नेतृत्व कर रही हैं, जो शनिवार को बघरा में किसानों के विरोध प्रदर्शन का केंद्र बन गई हैं. हरियाणा के कांग्रेस नेता दीपेंद्र हुड्डा को भी मंच पर देखा गया था, लेकिन वह प्रियंका ही थीं, जो आंदोलन का नेतृत्व कर रही थीं. प्रियंका ने केंद्र पर हमला करते हुए कहा,

“केंद्र सरकार को किसानों का सम्मान करना चाहिए. प्रधानमंत्री के रूप में चुने गए मोदी जी किसानों से बात क्यों नहीं कर रहे हैं? किसानों के साथ बातचीत शुरू की जानी चाहिए और उनकी समस्याओं को हल किया जाना चाहिए.”

'आंदोलन जाति-धर्म से परे हैं'

राहुल और प्रियंका के अलावा, सचिन पायलट ने भी शुक्रवार को जयपुर के चाकसू में कोटखावदा इलाके में एक किसान महापंचायत में भारी भीड़ जुटाई. पायलट ने कहा, "यह आंदोलन जाति और धर्म से परे है. देश में हर कोई अब कह रहा है कि भारत सरकार को अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए और अपने कड़े स्वभाव को छोड़ते हुए कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए. उन्हें सभी हितधारकों से परामर्श करने के बाद तीन नए कानूनों की रूपरेखा तैयार करनी चाहिए."

कांग्रेस नेता ने इस बात पर जोर दिया कि हर भारतीय को लगता है कि कृषि कानूनों को बिना किसी परामर्श के जल्दबाजी में पारित किया गया है.

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