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दिल्ली में ट्रैक्टर रैली पर अड़े किसान, सरकार के प्रस्ताव पर मंथन

कृषि कानूनों पर सरकार ने किसानों को दिया है एक-डेढ़ साल तक रोक लगाने का प्रस्ताव

क्विंट हिंदी
भारत
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कृषि कानूनों पर सरकार ने किसानों को दिया है एक-डेढ़ साल तक रोक लगाने का प्रस्ताव
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कृषि कानूनों पर सरकार ने किसानों को दिया है एक-डेढ़ साल तक रोक लगाने का प्रस्ताव
(फोटो: शादाब मोइज़ी/क्विंट हिंदी)

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कृषि कानूनों पर शुरू हुआ विवाद फिलहाल खत्म होता नजर नहीं आ रहा है. केंद्र और किसानों के बीच हुई 10 राउंड की बैठक के बाद भी खींचतान जारी है. 26 जनवरी को किसानों की विशाल ट्रैक्टर रैली और प्रदर्शन को देखते हुए सरकार ने 20 जनवरी को हुई बैठक में एक कदम आगे बढ़ते हुए प्रस्ताव दिया. जिसमें कानूनों को करीब 1 से लेकर डेढ़ साल तक ठंडे बस्ते में डालने की बात हुई. जिस पर किसानों को चर्चा कर फैसला लेना है.

10वीं बैठक में कानूनों को होल्ड करने का प्रस्ताव

अब पहले आपको बताते हैं कि बुधवार 20 जनवरी की बैठक में क्या-क्या हुआ था. तीनों कृषि कानूनों को खत्म करने वाली मांग को लेकर करीब 40 से ज्यादा किसान संगठनों के नेता विज्ञान भवन पहुंचे. जहां पहले से ही केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल मौजूद थे. बैठक शुरू हुई, विवाद भी हुआ, बातचीत के दौरान कई बार ब्रेक भी लेना पड़ा.

लेकिन 26 जनवरी को होने वाले प्रदर्शन से ठीक पहले सरकार किसानों को किसी भी हाल में मनाने की कोशिश कर रही थी.

जब बात नहीं बनी तो केंद्रीय कृषि मंत्री ने किसानों के सामने एक प्रस्ताव रखा, जिसमें कहा गया कि अगले एक या डेढ़ साल तक कानूनों को लागू नहीं किया जाएगा, इस बीच सरकार और किसानों की एक कमेटी लगातार बातचीत करेगी और मामले का हल निकाला जाएगा. इसके लिए सरकार सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देने के लिए भी तैयार है.

अब सरकार के इस प्रस्ताव पर किसान नेताओं ने कहा कि वो पहले आपस में चर्चा करेंगे और फिर जवाब देंगे. गुरुवार 21 जनवरी को किसान संगठन अपने तमाम नेताओं के साथ मिलकर इस प्रस्ताव पर मंथन करेंगे.

ट्रैक्टर रैली को लेकर चिंता में सरकार

अब सवाल ये है कि दो महीने बाद सरकार ने कानूनों को होल्ड पर रखने की बात क्यों की? इसका एक जवाब किसानों का आंदोलन ही है, जिसने सरकार को ये सोचने पर मजबूर कर दिया. किसान गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली के अंदर ट्रैक्टर रैली का ऐलान कर चुके हैं. जिस पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने भी साफ इनकार कर दिया है और कहा है कि ये दिल्ली पुलिस का मामला है. जिसके बाद पुलिस और सरकार के सामने 26 तारीख का प्रदर्शन एक चुनौती की तरह है.

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10वें दौर की बैठक में केंद्र सरकार का प्रस्ताव इस ट्रैक्टर रैली को रोकने के लिए उठाया गया एक कदम माना जा रहा है. हालांकि किसानों का कहना है कि हर हाल में 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली निकलेगी. इसे लेकर दिल्ली पुलिस और किसान नेताओं के बीच बैठक भी हुई, जिसमें किसान नेताओं ने पुलिस को साफ कहा कि ट्रैक्टर रैली तो निकलकर रहेगी.

इस बैठक में दिल्ली पुलिस के अलावा हरियाणा और यूपी पुलिस के अधिकारी भी शामिल थे. अब पुलिस अधिकारी 26 जनवरी से पहले एक बार फिर किसान नेताओं से बात कर सकते हैं.

इस किसान रैली को लेकर स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने कहा कि "किसान रिंग रोड पर परेड करने के लिए अड़े हैं, लेकिन दिल्ली पुलिस हमारी मांग को मानने के लिए तैयार नहीं है." यादव ने कहा कि उनकी रैली शांतिपूर्ण तरीके से होगी और इस दौरान गणतंत्र दिवस की प्रतिष्ठा भी बनी रहेगी. उन्होंने कहा, "देश भर के लाखों किसान इस परेड के लिए रवाना हुए हैं, हम उन्हें रोक नहीं सकते."

यानी सरकार और पुलिस के सामने ट्रैक्टर रैली को किसी भी तरह रोकने की चुनौती बनी हुई है. किसानों ने इससे पहले दिल्ली की सीमाओं पर ट्रैक्टर मार्च निकालकर 26 जनवरी वाले मार्च का ट्रेलर सरकार को दिखाया था. जिसमें हजारों किसान ट्रैक्टर लेकर बॉर्डर तक पहुंचे थे.

सुप्रीम कोर्ट की कमेटी की पहली बैठक

किसान और सरकार के अलावा सुप्रीम कोर्ट की गठित की गई कमेटी ने भी 21 जनवरी को ही अपनी पहली बैठक की. इस बैठक में कुछ किसान संगठनों ने हिस्सा लिया. रिपोर्ट्स के मुताबिक कुछ किसान संगठनों ने कानूनों को लेकर आपत्ति जताई, वहीं कुछ संगठनों ने समर्थन भी किया. 27 जनवरी को अब कमेटी की अगली बैठक होगी.

हालांकि प्रदर्शन कर रहे किसानों ने साफ इनकार कर दिया है कि वो कमेटी के सामने पेश नहीं होंगे. किसानों ने कमेटी के सदस्यों पर भी सवाल उठाए हैं और कहा है कि सभी कानूनों के समर्थक हैं.

क्या सरकार का प्रस्ताव मानेंगे किसान?

किसान नेताओं ने जरूर सरकार के प्रस्ताव पर सोच विचार करने की बात कही है, लेकिन बैठक के बाद किसान नेता राकेश टिकैत ने साफ किया कि ऐसे आंदोलन खत्म नहीं होगा. किसानों पर कई मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं, जिन्हें वापस लिया जाना बाकी है. साथ ही उन्होंने कहा कि हम लोग यहां कानूनों को रद्द कराने के लिए आए हैं और रद्द करवाकर ही जाएंगे.

यानी किसान अगर सरकार का प्रस्ताव ठुकराते हैं तो ये सरकार के लिए एक और बड़ा झटका होगा. साथ ही पुलिस के लिए भी ये चिंता की खबर है. पुलिस ने किसानों से कहा है कि वो पेरिफेरल एक्सप्रेसवे पर अपना ट्रैक्टर मार्च कर सकते हैं, लेकिन किसान दिल्ली के अंदर मार्च निकालना चाहते हैं. अब अगले दौर की बैठक 22 जनवरी को दोपहर 12 बजे रखी गई है. जिसके बाद ये साफ हो जाएगा कि ये आंदोलन तेज होगा या फिर किसान अपना रुख थोड़ा नरम करेंगे.

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