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आखिरकार एक साल बाद संसद में तीन कृषि कानूनों (Farm Laws) को रद्द कर दिया गया, लेकिन किसान आंदोलन अब भी लगातार जारी है. किसान अपनी कुछ और मांगो के साथ दिल्ली की अलग-अलग सरहदों पर विरोध कर रहे हैं. इसी बीच किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (Sanyukt Kisan Morcha) ने आज 4 दिसंबर एक अहम बैठक बुलाई है. ये बैठक सिंघू बॉर्डर पर होगी, जिसमें आंदोलन के भविष्य और रणनीति के बारे में फैसला लिया जाएगा.
इस बैठक में आंदोलन जारी रखने से लेकर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर समिति गठन को लेकर केंद्र को पांच नाम भेजे जाएं या नहीं-इस पर कोई भी फैसला हो सकता है, हालांकि किसान संगठन को सरकार से कोई औपचारिक संदेश नहीं मिला है.
इस बैठक में किसानों की लंबित मांगों पर भी विचार किया जाएगा. किसान संगठनों की मांग है कि फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानून बने, आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ जो केस हुए हैं उन्हें सरकार वापस ले, साथ ही आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिजनों को मुआवजा मिले.
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने बैठक को लेकर कहा,
संयक्त किसान मोर्चा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को 21 नवंबर को एक खुला पत्र लिखकर अपनी 6 मांगें रखी हैं, हालांकि सरकार की ओर से अब तक कोई जवाब नहीं मिला है. ऐसे में एसकेएम का मानना है कि सरकार की तरफ से आधिकारिक जवाब का इंतजार कर रहे हैं, जिसके बाद ही आंदोलन को लेकर फैसला किया जाएगा.
बता दें, किसान तीन कृषि कानूनों की वापसी और एमएसपी की गारंटी को लेकर पिछले एक साल से आंदोलन कर रहे हैं. इसी दौरान 19 नंवबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में तीनों कृषि कानूनों (Three Farm Laws) को वापस लेने का ऐलान किया था और अब संसद से भी तीनों कानून रद्द हो चुके हैं.
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