Home News India किसानों को धमकी भरे फोन, 26 जनवरी को ‘साजिश’ का प्लान? 10 बातें
किसानों को धमकी भरे फोन, 26 जनवरी को ‘साजिश’ का प्लान? 10 बातें
सरकार ने किसानों के आगे कानून को टालने का प्रस्ताव रखा, जिसे किसानों ने खारिज कर दिया है.
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28 नवंबर 2020 को गाजियाबाद में प्रदर्शन करते किसान
(फोटो: PTI)
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दिल्ली में कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन को 60 दिन हो गए हैं. सरकार के साथ 11 दौर की बैठकें हो चुकी हैं, लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकल पाया है. किसान कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग पर डटे हुए हैं. वहीं, 22 जनवरी को किसानों ने एक शख्स को पकड़कर दावा किया कि वो आंदोलन में हिंसा फैलाने की साजिश में था.
दिल्ली में सिंघु बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्जर पर किसानों का विरोध प्रदर्शन पिछले करीब दो महीने जारी है.
जानिए आंदोलन से जुड़ी बड़ी बातें:
22 जनवरी को सरकार और किसानों के बीच हुई 11वें दौर की बैठक भी बेनतीजा रही है. लंच के बाद से किसानों और सरकार के बीच मीटिंग दोबारा शुरू नहीं हो सकी. दो घंटे बीत जाने के बाद भी मीटिंग जब शुरू नहीं हुई. इस बार कोई अगली तारीख भी नहीं दी गई.
अब तक की बैठकों में कोई हल नहीं निकलने पर किसानों ने प्रदर्शन तेज करने का ऐलान कर दिया है. किसान 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली निकालेंगे. ट्रैक्टर परेड को लेकर दिल्ली पुलिस के साथ किसान संगठनों की आज एक महत्वपूर्ण बैठक होगी, जिसमें इस परेड के लिए रोड मैप तय कर लिया जाएगा.
उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली पुलिस आपसी सहयोग से इन रास्तों को तय करेगी ताकि परेड शांतिपूर्ण तरीके से हो सके. दिल्ली के अंदर ही 3 रूट बनाए जाएंगे जो की 30 से 40 किलोमीटर तक के होंगे.
सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों ने 22 जनवरी की रात एक शख्स को मीडिया के सामने पेश करते हुए आरोप लगाया कि उन्हें मारने की साजिश रची जा रही है. शख्स ने दावा किया कि कि 26 जनवरी को किसानों की तरफ से होने जा रहे ट्रैक्टर मार्च में खलल डालने की योजना बनाई गई है.
शख्स ने दावा किया कि 26 जनवरी को चार लोगों को शूट करने की योजना बनाई गई है. उसने कहा कि 10 लोगों को आंदोलन में हिंसा फैलाने के लिए इकट्ठा किया गया है. इसमें से कुछ लोग पुलिस की वर्दी में भी होंगे.
22 जनवरी को बैठक के दौरान किसान नेताओं ने धमकी भरे फोन आने की बात भी केंद्रीय मंत्रियों को बताई. द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, ये फोन कॉल कीर्ति किसान यूनियन के अध्यक्ष डॉ. दर्शन पाल और बीकेयू के प्रवक्ता राकेश टिकैत को आए.
रिपोर्ट में ऑल इंडिया किसान संघर्ष कोऑर्डिनेशन कमेटी के सदस्य, जगमोहन सिंह पटियाला ने कहा, “डॉ. पाल ने बताया कि उन्हें एक प्राइवेट नंबर से धमकी भरे फोन आए और कॉलर उनके लिए अपमानजनक भाषा का उपयोग कर रहा था. कॉलर ने उन्हें धमकी दी कि किसानों के प्रदर्शन को जल्द से जल्द खत्म करें या गंभीर परिणाम भुगतें.”
किसान नेता हरप्रीत सिंह के मुताबिक, बैठक में लंच से पहले केवल आधे घंटे बात हुई. उन्होंने बताया, “जब मंत्री लंच के बाद आए तो उन्होंने 5 मिनट में कह दिया कि हमने कानूनों को होल्ड में करने का जो प्रपोजल दिया है उस पर विचार करिये. इसके आलावा सरकार कुछ नहीं कर सकती. यह कहकर मंत्री मीटिंग से चले गए.”
सरकार ने किसानों को नए कृषि कानून के अमल पर डेढ़ साल तक रोक लगाने और एक समिति बनाकर आंदोलन से जुड़े सभी पहलुओं का समाधान तलाशने का प्रस्ताव दिया, जिसे किसानों ने खारिज कर दिया है. किसान तीनों कृषि कानूनों को खत्म करने की मांग पर डटे हुए हैं. कृषि मंत्री तोमर ने किसानों से कहा है कि अगर उनके पास कोई प्रस्ताव है, तो उसे पेश किया जाए, सरकार उसपर विचार करेगी. कृषि मंत्री तोमर ने दो टूक कहा है कि कानूनों में कोई खामी नहीं है और उसे वापस लेने का कोई सवाल नहीं उठता.
कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को कहा कि कोई ताकत किसान आंदोलन को बनाए रखना चाहती है. उन्होंने कहा, “यह आंदोलन किसानों का है और सरकार किसानों के हित की बात करना चाहती है, लेकिन किसान यूनियनों के साथ बातचीत किसी नतीजे पर नहीं पहुंच रही है, तो इसका मतलब है कि कोई ना कोई ताकत है जो अपने हित के लिए किसान आंदोलन को बनाए रखना चाहती है.”