Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-20191 दिसंबर से किसान संगठनों की मीटिंग, MSP और आंदोलन पर होगी चर्चा

1 दिसंबर से किसान संगठनों की मीटिंग, MSP और आंदोलन पर होगी चर्चा

किसानों ने कहा बिना चर्चा के कृषि निरसन विधेयक पास करना सरकार का अहंकारी रवैया

क्विंट हिंदी
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>1 दिसंबर से किसान संघों की मीटिंग, MSP और आंदोलन संबंधित फैसलों पर होगी चर्चा</p></div>
i

1 दिसंबर से किसान संघों की मीटिंग, MSP और आंदोलन संबंधित फैसलों पर होगी चर्चा

(फोटो-  द क्विंट)

advertisement

29 नवंबर को संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन विपक्षी सांसदों के हंगामों के बीच कृषि कानून निरसन विधेयक (Farm Laws Repeal Bill-2021) को लोकसभा और राज्यसभा में पेश किया गया और उसके कुछ ही देर बाद पारित कर दिया गया.

कृषि कानूनों के विरोध में किसानों द्वारा भारी प्रतिरोध करने के बाद, पिछले दिनों प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने घोषणा की थी कि संसद के शीतकालीन सत्र में सरकार विवादित कृषि कानूनों को रद्द कर देगी.

संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि यह किसान आंदोलन की पहली बड़ी जीत है लेकिन अभी अन्य महत्वपूर्ण मांगें बाकी हैं.

कृषि कानून निरस्त करने का बिल बिना चर्चा के पास हुआ: संयुक्त किसान मोर्चा

संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा जारी किए गए बयान में कहा गया कि तीनों विवादास्पद कृषि कानूनों को रद्द करने वाले बिल को संसद में बिना चर्चा के पास कर दिया गया.

केंद्र द्वारा बनाया गया किसान विरोधी कानून आज रद्द हो चुका है, जिससे आज के दिन को भारत के इतिहास में याद रखा जाएगा. हालांकि, इस बिल को पास करने से पहले संसद में चर्चा नहीं की गई, जो भारत के विकास की दृष्टि से सही फैसला नहीं था. इन कानूनों को पहले जून 2020 में अध्यादेश के रूप में लाया गया और सितंबर 2020 में कानून का रूप दिया गया, लेकिन विडंबना यह है कि बिना चर्चा और बहस के पास किया गया.

अधिकतर एपीएमसी (Agricultural Produce & Livestock Market Committee) एक्ट में किसानों के पहले से ये अधिकार था कि वो अपना उत्पाद कहीं भी और किसी भी व्यापारी के हांथों बेच सकते हैं. पहली बार इस तरह की आजादी को केन्द्र की मोदी सरकार द्वारा किसानों से छीना गया.

संयुक्त किसान मोर्चा ने आगे कहा कि इस तरह के शोषण से सुरक्षा के बिना किसी भी तथाकथित आजादी का कोई मतलब नहीं है. ईको-सिस्टम जिसे डी-रेगुलेटेड स्पेस में बनाने की मांग की गई थी, वह कॉरपोरेट्स और व्यापारियों के लिए है न कि किसानों के लिए. तथ्य यह है कि इन कानूनों को असंवैधानिक तरीके से बनाया गया था, अब भी स्वीकार नहीं किया गया है.

SKM ने इस दावे का विरोध किया कि किसानों के साथ कानूनों पर चर्चा की गई और कहा कि लोकतंत्र में इंडस्ट्री-स्पॉन्सर कृषि संघों के साथ अवसरवादी विचार-विमर्श आगे का रास्ता नहीं है, गंभीर चर्चा के साथ लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को अपनाया जाना चाहिए.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

'अहंकारी और कठोर रवैया'

संयुक्त किसान मोर्चा ने आगे कहा कि जिस तरह से भारत सरकार कृषि कानून रद्द करने का विधेयक लाई उससे सरकार का अहंकारी और अड़ियल रवैया स्पष्ट रूप से समझ आता है और यह केवल भोले-भाले लोगों को गुमराह करने के लिए है.

हालांकि काले कानूनों को रद्द कर दिया गया, लेकिन 686 किसानों ने शांतिपूर्ण आंदोलन में अपने जीवन का बलिदान दिया है, इसका पूरा श्रेय मोदी सरकार को जाता है.

1 दिसंबर से होगी मीटिंग

इस बीच भारतीय किसान यूनियन (BKU) के कादियान प्रेसीडेंट हरमीत सिंह कादियान ने कहा कि 1 दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चा की एक मीटिंग होगी. एमएसपी कमेटी को लेकर आंदोलन पर अगला फैसला इसी बैठक में लिया जाएगा, यह मीटिंग 4 दिसंबर तक चलेगी. यह एक इमरजेंसी स्पेशल मीटिंग है जो 11 राउंड की बातचीत के लिए गए किसान संगठनों के प्रतिनिधियों द्वारा आयोजित की जाएगी.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक हरमीत सिंह कादियान ने आगे कहा कि...

हमारी अन्य मांगें जैसे बिजली संशोधन विधेयक-2020 को निरस्त करना, प्रदर्शनकारियों के खिलाफ एफआईआर रद्द करना, केंद्रीय मंत्रिमंडल से अजय मिश्रा को निलंबित करना अभी भी अभी बाकी हैं. सबसे जरूरी मांग एमएसपी को लेकर है, जिसके लिए सरकार ने हमें अभी तक सही गाइडलाइन नहीं दी है कि समिति कैसे काम करेगी. हमने केंद्र सरकार को इसके लिए एक दिन का समय दिया है और इसलिए 1 दिसंबर को किसान मोर्चा की मीटिंग बुलाई है, जिसमें हम आगे का रास्ता तय करेंगे.

इसके अलावा भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि कृषि कानून एक बीमारी रही है और यह अच्छी है कि उन्हें रद्द कर दिया गया है. राष्ट्रपति को बिल पर मुहर लगाने दें, फिर हम 750 किसानों की मौत, एमएसपी और किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को रद्द करने जैसे अन्य मुद्दों पर चर्चा करेंगे.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT