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एल्गार परिषद केस (Elgar Parishad Case) में आरोपी फादर स्टेन स्वामी (Stan Swamy) का 5 जुलाई को निधन हो गया. आदिवासी अधिकारों पर झारखंड में काम करने वाले स्टेन स्वामी के निधन के बाद कई सारे लोग उन्हें याद कर रहे हैं. कांग्रेस नेता राहुल गांधी से लेकर इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने स्वामी के निधन पर शोक व्यक्ति किया है.
पिछले 20 साल से झारखण्ड में आदिवासियों की आवाज उठाने वाली संस्था आदिवासी अधिकार मंच के खूंटी जोन के प्रभारी आलोका कुजुर झारखण्ड में आदिवासियों से जुड़े तमाम आंदोलनों से लेकर फादर स्टेन स्वामी की रिहाई के लिए आवाज बुलंद करते रहे. स्वामी के निधन पर उन्होंने कहा-
आलोका कुजुर बताते हैं कि- 'जब स्टेन स्वामी कभी कोरेगांव नहीं गए, कोरेगांव पर उन्होंने कोई बयान नहीं दिया फिर भी उन पर इतना बड़ा आरोप लगा कर उनको जेल भेजा गया. मुझे याद है जब दो साल पहले NIA ने मराठी भाषा में FIR की तो उसमें फादर का नाम बतौर आरोपी नहीं था, फिर भी उनकी गिरफ्तारी हुई.'
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने फादर स्टेन स्वामी के निधन पर कहा-
इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने लिखा- "फादर स्टेन स्वामी ने अपना पूरा जीवन पिछड़ों, गरीबों के लिए काम करने में लगा दिया. उनका दुखद निधन एक न्यायिक हत्या का मामला है, इसके लिए गृह मंत्रालय और कोर्ट दोनों बराबरी से जिम्मेदार हैं."
कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने लिखा- 'फादर स्टेन स्वामी के निधन की जानकारी पाकर दुखी हूं. एक मानवतावादी और ईश्वरीय इंसान जिससे हमारी सरकार मानवीय बर्ताव नहीं कर सकी. बतौर भारतीय बहुत दुखी हूं.'
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्वीट में लिखा- 'फादर स्टेन स्वामी के निधन की खबर से दुखी हूं. उन्होंने अपना जीवन आदिवासियों के अधिकारों में लगा दिया. मैंने उनकी गिरफ्तारी की जमकर मुखालफत की थी. केंद्र सरकार को जवाब देना चाहिए कि उन्हें मेडिकल सर्विस वक्त पर क्यों नहीं दी गईं, जिनकी वजह से उनकी मौत हुई है.'
NIA ने भीमा कोरेगांव मामले में ट्राइबल राइट्स एक्टिविस्ट स्वामी को गिरफ्तार किया था. 83 साल के स्वामी को रांची (झारखंड) के नामकुम के बगाईचा स्थित आवास से गिरफ्तार किया गया था. स्वामी का नाम उन आठ लोगों में शामिल था, जिन पर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की कथित साजिश रचने और भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा को कथित तौर पर भड़काने के आरोप हैं.
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