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"हमसे लाखों रुपयों की एडवांस फीस ली गई फिर अचानक कोचिंग सेंटर बंद कर दिया है अब रिफंड को लेकर परेशानी हो रही है." ये कहना है रवि अरोड़ा का, जिनका बेटा फीटजी कोचिंग में पढ़ रहा था. रवि अरोड़ा समेत 50 ऐसे माता-पिता हैं जिन्होंने इंदौर की फीटजी कोचिंग पर धोखाधड़ी का आरोप लगाया है.
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के इंदौर (Indore) में जेईई परीक्षा की तैयारी कराने वाली कोचिंग संस्था फीटजी (FIITJEE) ने 11वीं-12वीं के बच्चों से लाखों की फीस वसूली लेकिन फिर अपने कोचिंग सेंटर्स को अचानक बंद कर दिया. माता-पिता ने यूनियन बनाकर कलेक्टर से शिकायत की है. अब उन्हें रिफंड की दरकार है.
पहले समझिए फीटजी क्या है?: ये देश की एक प्रतिष्ठित कोचिंग संस्था है. जो भारत में पिछले 3 दशकों से भी ज्यादा समय से काम कर रही है. फीटजी की संस्था विदेशों में भी है. ये IIT-JEE के लिए तैयारी करवाते हैं. कई स्कूल के बच्चे फीटजी से कोचिंग लेते हैं.
इंदौर में कथित धोखाधड़ी का क्या मामला है?: यहां फीटजी के तीन कोचिंग सेंटर हैं जहां खासकर 11वीं और 12वीं के बच्चों को कोचिंग दी जाती है. इनसे लगभग 1.5 लाख से 2 लाख रुपये की एडवांस फीस वसूली जाती है. फीटजी ने फीस वसूली लेकिन फिर क्लासेस देना अचानक बंद कर दिया. कुछ दिन बच्चे पढ़ने गए लेकिन फिर फैकल्टी की समस्या को लेकर छुट्टी देना शुरू किया और अब जाकर संस्था को बंद ही कर दिया.
फीटजी में पढ़ रहे एक बच्चे के पिता रवि अरोड़ा ने क्विंट हिंदी से बातचीत नें कहा कि, "शुरू में एडवांस फीस ली गई है, हमने पूरी फीस भरी. लेकिन फिर क्लासेस बंद कर दी गई. हमारे पास 50 बच्चों के माता-पिता की लिस्ट हैं, हमने एक साथ फीटजी से बात करने की कोशिश की. शुरू में उन्होंने हमें कोई जवाब नहीं दिया. फिर उन्होंने कहा आप फीटजी के हेड ऑफिस दिल्ली में बात करें. वहां बात की तो कहा गया इंदौर फीटजी का मामला है. अब इंदौर के सेंटर में अधिकतर लोग छोड़ चुके हैं. हमारे से ठीक से बात करने वाला भी कोई नहीं "
रवि अरोड़ा के मुताबिक इंदौर के फीटजी सेंटर में लगभग 240-250 बच्चे पढ़ते हैं और तीनों ही सेंटर्स बंद कर दिए गए हैं. इन सभी बच्चों की फीस 1.5 लाख से 2 लाख के बीच है और लगभग सभी पूरी फीस जमा कर चुके हैं.
एक अन्य छात्र की मां खुशबू कवड़ीकर ने क्विंट हिंदी से कहा कि उनका बेटा 11वीं में है और सेंटर ठीक से शुरू होने से पहले ही बंद हो गया.
क्विंट हिंदी ने कुछ बच्चों के माता-पिता से बात की जिसमें पता चला कि कई टीचर्स नौकरी छोड़ चुके हैं क्योंकि उन्हें कई महीनों की सैलेरी नहीं दी गई है. यही नहीं सेंटर के स्टाफ को भी सैलेरी नहीं मिलने का दावा किया गया है. अधिकतर बच्चे मिडिल क्लास परिवार से आते हैं.
खुशबू ने ये भी कहा कि, जो 12वीं क्लास के बच्चे हैं उनका तो और भी बड़ा नुकसान है, बोर्ड की परीक्षा का उनपर अलग प्रेशर है. उन्होंने कहा हम सभी पैरेंट्स मिलकर फिर मीटींग करेंगे और कोचिंग संस्था पर रिफंड करने का दवाब बनाएंगे.
आंध्र प्रदेश के वाइजैग से हाल ही में इंदौर शिफ्ट हुई सुवर्णा अंबोरे ने दुखी होते हुए कहा कि "वाइजैग में फीटजी की फीस 4 लाख रुपये हैं. हमने पूरी फीस भरी लेकिन फिर हमारा अचानक ट्रांसफर हो गया जिस वजह से हमें इंदौर शिफ्ट होना पड़ा. हमने थोड़े और पैसे देकर हमारे बच्चे का वाइजैग के सेंटर से इंदौर के सेंटर में ट्रांसफर कराया लेकिन यहां आते ही सेंटर बंद कर दिए गए हैं. अब ये स्कैम है या क्या है पता नहीं, लेकिन हमें अपना रिफंड चाहिए ताकि हम अपने बच्चों को जल्द से जल्द दूसरे कोचिंग सेंटर में भेज सकें."
खुशबू कवड़ीकर बताती हैं कि "सभी बच्चों के माता-पिता मिडिल क्लास फैमिली से हैं. अब हमारे लाखों रुपये फंस गए हैं. हमें रिफंड मिलना चाहिए ताकि हम अपने बच्चों का एडमिशन किसी और कोचिंग सेंटर में करा सकें."
खुशबू कवड़ीकर ने बताया कि, "इंदौर ही नहीं, हमें पता चला है कि इन्होंने कई राज्यों में अपने सेंटर्स ऐसे ही बंद कर दिए हैं. इससे हमारे बच्चों का काफी नुकसान हुआ है. बच्चे भी मायूस हो गए हैं. हमें उन्हें मोटीवेट करना है और इसके लिए हमें उन्हें दूसरे कोचिंग सेंटर में जल्द भेजना होगा. उन्हें रिफंड देना होगा."
इंदौर के कलेक्टर आशीष सिंह ने कहा कि, इस मामले में 40-50 माता-पिता फीटजी की शिकायत लेकर आए थे. उन्होंने कहा कि फीस पूरी फीस वसूली गई है लेकिन क्लासेस नहीं लग रही. फैकल्टी की कमी बताई जा रही है. उनेक पैसे भी वापस नहीं किए जा रहे हैं. हम इसकी जांच कराएंगे. अगर मामला सही पाया गया तो फीस वापस करवाई जाएगी और दोषी को सजा भी देंगे.
क्विंट हिंदी ने फीटजी से भी संपर्क किया, उन्हें सवाल भी भेजें लेकिन फिलहाल फीटजी की तरफ से कोई जवाब नहीं आया है. जवाब आते ही इस खबर को अपडेट किया जाएगा.
इनपुट क्रेडिट: अब्दुल वसीम अंसारी
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