Home News India तस्वीरों में फिल्म अभिनेता, साहित्यकार गिरीश कर्नाड का सफर
तस्वीरों में फिल्म अभिनेता, साहित्यकार गिरीश कर्नाड का सफर
10 बार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीत चुके कर्नाड को भरातीय रंगमंच और पितामह माना जाता था.
क्विंट हिंदी
भारत
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गिरीश कर्नाड 10 जून को हुआ निधन
फोटो: क्विंट हिंदी
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फिल्म अभिनेता, साहित्यकार गिरीश कर्नाड का निधन को बेंगलुरु में हो गया है. जाने माने लेखक और दक्षिण भारतीय रंगमंच के पुरोधा गिरीश काफी समय से बीमार चल रहे थे. गिरीश कर्नाड को भरातीय रंगमंच और पितामह माना जाता था.
गिरीश कर्नाड को कई कलाओं में महारत हासिल थी. अदाकारी, निर्देशन, लेखन. उनके लिखे नाटकों का कई भाषाओं में अनुवाद हो चुका है. गिरीश कर्नाड को साहित्य का सबसे बड़ा पुरस्कार ज्ञानपीठ भी मिल चुका है.
गिरीश कर्नाड को बचपन से ही थियेटर का शौक था. स्कूल के दौरान ही वो नाटकों में हिस्सा लेने लगेगिरीश कर्नाड बहुमुंखी प्रतिभा के धनी थे. 1960 के दशक में नाटकों के लेखन से कर्नाड को पहचान मिलीगिरीश ने कन्नड़ फिल्म संस्कार 1970 में अपना एक्टिंग और स्क्रीन राइटिंग डेब्यू किया थागिरीश कर्नाड ने कन्नड़ फिल्म संस्कार से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की. उनकी पहली फिल्म को गोल्डन लोटस अवॉर्ड मिला.1961 में गिरीश कर्नाड ने अपना पहला नाटक ‘ययाति’ लिखा.बॉलीवुड में उनकी पहली फिल्म 1974 में आयी जादू का शंख थीगिरीश कर्नाड को कई कलाओं में महारत हासिल थी. अदाकारी, निर्देशन, लेखन. उनके लिखे नाटकों का कई भाषाओं में अनुवाद हो चुका है.गिरीश कर्नाड को साहित्य का सबसे बड़ा पुरस्कार ज्ञानपीठ भी मिल चुका हैउनकी आखिरी फिल्म कन्नड़ भाषा में बनी अपना देश थी, उनकी मशहूर कन्नड़ फिल्मों में से तब्बालियू मगाने, ओंदानोंदु कलादाली, चेलुवी, कादु और कन्नुड़ु हेगादिती रही हैं. गिरीश कर्नाड की कन्नड़ और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में उनकी बहुत पकड़ थीबॉलीवुड की उनकी आखिरी फिल्म ‘टाइगर जिंदा है’ ये फिल्म 2017 में रिलीज हुई थी इस फिल्म में उन्होंने डॉ. शेनॉय का किरदार निभाया था. 1990 की शुरुआत में विज्ञान पर आधारित एक टीवी प्रोग्राम टर्निंग पॉइंट में उन्होंने होस्ट की भूमिका निभाई थी गिरीश कर्नाड ने मेरी जंग, अपने पराये, भूमिका, एक था टाइगर और टाइगर जिंदा है जैसी हिंदी फिल्मों में भी अहम किरदार निभाए.उनका लिखा एक और नाटक ‘तुगलक’ खूब मशहूर हुआउनकी रचनाओं में एक तरफ पुरातन भारत की झलक दिखती थी, तो वहीं दूसरी तरफ आधुनिकता की भी छाप होती थी.नाट्यकला के क्षेत्र में इब्राहीम अलकाजी, अरविंद गौड़ और प्रसन्ना जैसे बड़े निर्देशक इनके नाटकों का शानदार निर्देशन कर चुके हैंगिरीश कर्नाड को भारत सरकार ने पद्मश्री और पद्म भूषण अवॉर्ड से सम्मानित किया था. उन्होंने चार फिल्मफेयर अवॉर्ड भी जीते