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वित्तमंत्री अरुण जेटली ने डॉलर के मुकाबले लगातार गिरते रुपये को लेकर दो-टूक बयान दिया है. जेटली ने कहा कि रुपये के गिरने के पीछे घरेलू वजह नहीं हैं, ऐसा अंतरराष्ट्रीय कारणों के चलते हो रहा है.
अरुण जेटली ने कहा कि तेजी के साथ बढ़ती अर्थव्यवस्था को घबराने की जरूरत नहीं है. जेटली कैबिनेट मीटिंग के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने मोदी सरकार की जनधन स्कीम और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा स्कीम के बारे में भी बात की.
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने डॉलर के मुकाबले गिरते रुपये पर भी बात की. एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, ‘अगर आप अंतरराष्ट्रीय या घरेलू स्तर पर देखेंगे, तो रुपये के गिरने के पीछे कोई घरेलू वजह नहीं है. सभी वजहें अंतरराष्ट्रीय हैं. हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि डॉलर के मुकाबले सभी करंसी टूटी हैं. हालांकि उस वक्त में भी रुपया या तो कम गिरा या फिर स्थिर बना रहा.’
जेटली ने कहा कि मजबूत होते डॉलर के पीछे अमेरिका की मजबूत पॉलिसी है. वित्तमंत्री ने कहा कि सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था को इतनी जल्दी घबराने की जरूरत नहीं है.
वित्तमंत्री अरुण जेटली ने जनधन स्कीम के चार साल पूरे होने पर स्कीम से जुड़े आंकड़े भी दिए. उन्होंने कहा कि जनधन योजना का 15 अगस्त 2014 को ऐलान किया गया था. इसके बाद 28 अगस्त 2014 को ये स्कीम लॉन्च की गई थी. जेटली ने कहा कि चार साल के भीतर ये योजना दुनिया की सबसे बड़ी बैंकिंग स्कीम बन गई है.
जेटली ने कहा कि वर्ल्ड बैंक के मुताबिक, इन चार सालों में पूरी दुनिया में 51.5 करोड़ बैंक अकाउंट खोले गए और इनमें से 32.41 करोड़ केवल जनधन स्कीम के तहत खोले गए बैंक अकाउंट हैं.
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जेटली ने बताया कि बीपीएल के लिए डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर योजना है. इस योजना के तहत 7.5 करोड़ खातों में यह फायदा ट्रांसफर होता है. उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत 31 जनवरी, 2015 तक खोले गए खातों में खाताधारक को 30 हजार रुपये का बीमा मिलता था. इस बीमा योजना से 4,981 लोगों ने फायदा उठाया है.
इसी योजना के तहत प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना थी, 1 रुपये महीने में 1 लाख रुपये का जीवन बीमा मिलता था, 13.98 फीसदी (लगभग 14 करोड़) लोगों ने उसका फायदा उठाया. 19,436 लोगों के दावों का भुगतान किया जा चुका है.
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