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इस हफ्ते में दूसरी बार नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली विवादों के घेरे में हैं. ताजा विवाद पीएम ओली के विजयादशमी ग्रीटिंग कार्ड से जुड़ा है, जिसमें नेपाल का पुराना मैप इस्तेमाल किया गया है. हाल ही में नेपाल ने एक नया मैप जारी किया था और इसमें भारत के कई हिस्सों को अपना बताया था. पुराना मैप इस्तेमाल किए जाने पर विपक्ष ने ओली को घेर लिया है. वहीं, कुछ दिन पहले RAW चीफ से मुलाकात के बाद भी ओली की पार्टी के नेताओं ने उन पर हमला बोला था.
मई में भारत के साथ सीमा विवाद बढ़ने के बीच नेपाल ने एक नया मैप जारी किया था. इस मैप में नेपाल ने उत्तराखंड के लिपुलेख, कालापानी और लिम्पियाधुरा इलाके को अपने क्षेत्र में दिखाया था.
लिपुलेख पास भारत और नेपाल के विवादित बॉर्डर इलाके कालापानी के पश्चिमी छोर पर पड़ता है. नेपाल और भारत दोनों कालापानी को अपने क्षेत्र का अभिन्न अंग बताते हैं. भारत इसे उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले का हिस्सा बताता है. वहीं नेपाल इसे धारचूला जिले का हिस्सा कहता है.
पीएम ओली के विजयादशमी ग्रीटिंग कार्ड में इस नए मैप की जगह पुराना मैप इस्तेमाल हुआ है. इसे लेकर विपक्ष ने ओली की आलोचना शुरू कर दी है. विपक्ष का कहना है कि 'पीएम ओली इस मामले में अपने कदम पीछे खींच रहे हैं और क्षेत्रीय मुद्दे पर राष्ट्रीय सहमति का महत्त्व कम कर रहे हैं.'
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, करीब छह हफ्तों पहले पीएम केपी शर्मा ओली ने उन स्कूल टेक्स्टबुक को वापस लेने का आदेश दिया था, जिनमें नया मैप शामिल किया गया था.
इससे पहले 22 अक्टूबर को पीएम ओली RAW चीफ सामंत कुमार गोयल से मुलाकात के बाद आलोचनाओं में घिर गए थे. इस बार ओली को घेरने वाले उनकी अपनी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के नेता थे, जिनमें तीन पूर्व प्रधानमंत्री भी शामिल रहे.
RAW चीफ के साथ पीएम ओली की बैठक दो घंटे से ज्यादा चली थी. अगले महीने आर्मी चीफ एमएम नरवणे भी नेपाल दौरे पर जाएंगे. ये दौरे ऐसे समय में हो रहे हैं, जब भारत और नेपाल अपने तनावपूर्ण रिश्तों को ठीक करने की कोशिश कर रहे हैं.
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