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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने नागपुर में विजयादशमी उत्सव के संबोधन में चीन पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि भारत की प्रतिक्रिया से पहली बार चीन सहम गया और ठिठका है. उसकी गलतफहमी दूर हो गई.
हालांकि, मोहन भागवत ने भारत को अब और अधिक सतर्क रहने का सुझाव देते हुए सैन्य और आर्थिक मोर्चे पर चीन से ज्यादा मजबूत बनने पर जोर दिया.
मोहन भागवत ने चीन से टकराव के बाद भारत को और अधिक सतर्क रहने की जरूरत बताई. मोहन भागवत ने कहा, हमको अधिक सजग रहने की जरूरत है. क्योंकि उसने जो नहीं सोचा था, भारत ने वैसी परिस्थिति खड़ी कर दी. इसकी प्रतिक्रिया में वह (चीन) क्या करेगा, नहीं पता. इसलिए इसका उपाय क्या है. सतत सावधानी, सजगता और तैयारी.
मोहन भागवत ने पड़ोसी देशों के साथ संबंध और अधिक दुरुस्त करने पर जोर दिया. उन्होंने कहा, श्रीलंका, बांग्लादेश, नेपाल ऐसे हमारे पड़ोसी देश, जो हमारे मित्र भी हैं और बहुत मात्रा में समान प्रकृति के देश हैं, उनके साथ हमें अपने सम्बन्धों को अधिक मित्रतापूर्ण बनाने में अपनी गति तीव्र करनी चाहिए.
मोहन भागवत ने चीन को कड़ा संदेश देते हुए कहा, हम सभी से मित्रता चाहते हैं. वह हमारा स्वभाव है. परन्तु हमारी सद्भावना को दुर्बलता मानकर अपने बल के प्रदर्शन से कोई भारत को चाहे जैसा नचा ले, झुका ले, यह हो नहीं सकता, इतना तो अब तक ऐसा दुस्साहस करने वालों को समझ में आ जाना चाहिए. हम दुर्बल नहीं है. उनकी गलतफहमी दूर हो गई.
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