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सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ कंटेम्प्ट प्रोसीडिंग शुरू करने की निंदा करते हुए 131 लोगों ने एक स्टेटमेंट जारी किया है. इन लोगों में रिटायर्ड जज, पूर्व सिविल सर्वेंट, लेखक और वकील शामिल हैं. स्टेटमेंट में कहा गया, "भूषण समाज के कमजोर तबके के लोगों के अधिकारों के लिए बिना रुके लड़ते आए हैं और उन्होंने अपना पूरा करियर ऐसे लोगों को मुफ्त लीगल सेवा देने में बिता दिया, जो न्याय नहीं मांग सकते थे."
इस स्टेटमेंट पर साइन करने वालों में पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज मदन लोकुर, दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस एपी शाह, वरिष्ठ वकील जैसे कि इंदिरा जयसिंह, आनंद ग्रोवर और गोपाल शंकरनारायण, स्वतंत्रता सेनानी जीजी पारिख, लेखक अरुंधती रॉय, कई प्रोफेसर और पूर्व सिविल सर्वेंट शामिल हैं.
स्टेटमेंट में सुप्रीम कोर्ट के 'लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों के संकट में समय से हस्तक्षेप न करने की अनिच्छा' पर हुई आलोचना का भी जिक्र है. इस स्टेटमेंट में सुप्रीम कोर्ट से अपील की गई कि वो इन चिंताओं को देखें और 'पब्लिक से खुले और पारदर्शी तरीके से बातचीत' करे.
स्टेटमेंट पर साइन करने वालों ने अपील की है कि सुप्रीम कोर्ट खुले और बिना डर के पब्लिक डिस्कशन के लिए तैयार रहे. इन लोगों ने कहा कि अमेरिका और ब्रिटेन जैसे लोकतंत्र में क्रिमिनल कंटेम्प्ट अपराध के तौर पर निरर्थक हो चुका है.
भूषण के खिलाफ कंटेम्प्ट प्रोसीडिंग शुरू करने के फैसले पर दोबारा विचार की बात कहते हुए बयान में लेट वरिष्ठ वकील विनोद बोबडे का एक स्टेटमेंट दिया गया है. विनोद मौजूदा CJI एसए बोबडे के बड़े भाई थे.
सुप्रीम कोर्ट ने 21 जुलाई को प्रशांत भूषण के खिलाफ उनके कुछ ट्वीट्स पर खुद ही संज्ञान लेते हुए कंटेम्प्ट प्रोसीडिंग शुरू कर दी.
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