Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019गांधी की हत्या के बाद RSS ऑफिस गया,वहां एक तरह की खुशी थी: पत्रकार

गांधी की हत्या के बाद RSS ऑफिस गया,वहां एक तरह की खुशी थी: पत्रकार

पीटीआई के पूर्व पत्रकार ने राष्ट्रपिता के हत्याकांड पर अपनी रिपोर्टिंग की यादें साझा की हैं

क्विंट हिंदी
भारत
Published:
देश-दुनिया में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाई जा रही है
i
देश-दुनिया में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाई जा रही है
(फोटो: विकीमीडिया कॉमन्स) 

advertisement

महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर देशभर में आयोजनों के माहौल के बीच पीटीआई के एक पूर्व पत्रकार ने राष्ट्रपिता के हत्याकांड पर अपनी रिपोर्टिंग की यादें साझा की हैं. इस पत्रकार का नाम है- वॉल्टर अल्फ्रेड.

पिछले महीने अपना 99वां जन्मदिन मनाने वाले अल्फ्रेड के जेहन में उस हत्याकांड की रिपोर्टिंग का पूरा वाकया आज भी जस का तस है. वह उस शाम नागपुर के ऑफिस में थे, जब नाथूराम गोडसे ने दिल्ली के बिड़ला भवन में महात्मा गांधी के सीने में 3 गोलियां उतार दी थीं.

अगले दिन अल्फ्रेड नागपुर स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के मुख्यालय गए. इस बारे में उन्होंने बताया, 
“मैं अगले दिन नागपुर में RSS के मुख्यालय गया और यह देख कर चकित था कि वहां लोगों के चेहरे पर एक तरह की खुशी थी. वे अपनी भावनाएं छिपा नहीं पा रहे थे.” 
वॉल्टर अल्फ्रेड, पूर्व PTI पत्रकार

इसके आगे उन्होंने कहा, “वे गांधी और नेहरू को पसंद नहीं करते थे लेकिन मैंने कभी यह नहीं सोचा था कि वे इस तरह से प्रतिक्रिया देंगे.”

30 जनवरी,1948 हम सभी के लिए एक रूखा दिन था: अल्फ्रेड

अल्फ्रेड ने याद किया, “30 जनवरी, 1948 हम सभी के लिए एक रूखा दिन था. शाम करीब साढ़े 6-7 बजे के बीच ऑफिस के फोन की घंटी बजी और उस वक्त मुझे महात्मा गांधी की हत्या के बारे में पता चला.” अल्फ्रेड के सहयोगी पोंकशे ने मुंबई से उन्हें महात्मा गांधी पर हुए जानलेवा हमले की जानकारी दी थी.

अल्फ्रेड ने बताया कि उन्होंने अपना आत्मसंयम बनाए रखा. उन्होंने कहा, “मैंने पोंकशे की तरफ से दी गई संक्षिप्त जानकारी के आधार पर शुरुआती कॉपियां टाइप करनी शुरू कर दीं. दफ्तर में उस वक्त दो चपरासी मौजूद थे जो ये कॉपियां लेकर एक अंग्रेजी समाचारपत्र समेत 6 स्थानीय सब्सक्राइबरों तक पहुंचे क्योंकि उस वक्त टेलीप्रिंटर नहीं था.”

अल्फ्रेड ने बताया,

“यह शुद्ध और संक्षिप्त कॉपी लिखने के मेरे कौशल का परीक्षण था क्योंकि मुझे गांधी जी की हत्या के संबंध में आ रहे हर फोन कॉल का जवाब देना था, नई जानकारियों को लिखना था, 6 सब्सक्राइबरों के लिए एक कॉपी बनानी थी और चपरासियों को इन कॉपियों को उन तक पहुंचाने के लिए भेजना था.’’
वॉल्टर अल्फ्रेड, पूर्व PTI पत्रकार

उन्होंने कहा कि उस दिन भावुक होने का समय नहीं था. यह पूछने पर कि हत्या की खबरों ने क्या उन्हें गांधी से हुई उनकी पहले की मुलाकातों की याद दिलाई, अल्फ्रेड ने कहा, “मेरे पास उन सारी यादों के लिए वक्त नहीं था. मेरा ध्यान सिर्फ टेलीफोन पर मिली रही जानकारियों को लिखने और उसकी कॉपी बनाने पर था. इनमें नाथूराम गोडसे की गिरफ्तारी और RSS से उसके कथित संबंध के ब्यौरे भी शामिल थे.”

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT