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ट्विटर (Twitter) और केंद्र सरकार के बीच काफी समय से तनाव चल रहा है. नए आईटी नियम (New IT Rules) और फिर टूलकिट विवाद को लेकर तनातनी बनी रही. इस बीच सरकार ने बताया कि आईटी नियमों का पालन नहीं करने की वजह से ट्विटर ने सोशल मीडिया इंटरमीडियरी का दर्जा खो दिया है. इसके बाद से माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म पर पुलिस कार्रवाई की आशंका बढ़ गई है. 20 जून को गाजियाबाद पुलिस ने दावा किया कि 15 जून 2020 से 15 जून 2021 के बीच ट्विटर को 26 ईमेल भेजे गए, लेकिन किसी पर जवाब नहीं आया.
टाइम्स ऑफ इंडिया (TOI) की रिपोर्ट के मुताबिक, गाजियाबाद पुलिस का कहना है कि साइबरक्राइम से जुड़े कई मामलों में ट्विटर को ईमेल भेजे गए थे, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला है.
TOI के मुताबिक, पुलिस ने बताया कि एक साल की इस अवधि में फेसबुक को 255 मेल भेजे गए और उसने 177 का जवाब दिया. जबकि इंस्टाग्राम को 62 भेजे गए और 41 का जवाब मिला. WhatsApp ने 58 ईमेल में से 28 का जवाब दिया.
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के देरी से जवाब देने की भी दिक्कत है. अधिकारी ने कहा, "जबकि फेसबुक और इंस्टाग्राम ने 45-60 दिन में जवाब दिया, WhatsApp ने एक जवाब देने में करीब 90 दिन लगाए."
लोनी मामले में ट्विटर ने गाजियाबाद पुलिस को सवाल भेजने के लिए एक दूसरी ईमेल आईडी दी है. मिश्रा ने कहा कि 19 जून को दूसरी आईडी पर ईमेल भेजे गए हैं लेकिन ट्विटर ने अभी तक जवाब नहीं दिया.
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