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सरकार अलग-अलग पैरामिलिट्री फोर्स को चुस्त-दुरुस्त और सुगठित लड़ाकू इकाइयों में तब्दील करने का विचार कर रही है. इसमें पैरामिलिट्री फोर्स के विलय और अधिक आयु वाले जवानों को कठिन ड्यूटी पर नहीं लगाने जैसे कदमों पर विचार किया जा रहा है. अधिकारियों के मुताबिक इस मुद्दे पर चर्चा के लिए सीएपीएफ (केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल) और गृह मंत्रालय के अधिकारियों की एक विशेष समिति गठित की गई है, जो 2020 के मध्य तक मंत्रालय को रिपोर्ट सौंपेगी.
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ये चर्चा की जा रही है कि,
वर्तमान में आईटीबीपी और एसएसबी दोनों पैरामिलिट्री फोर्स के कार्य अलग-अलग हैं. आईटीबीपी चीन से लगी 3,488 किमी लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) की पहरेदारी करता है, जबकि एसएसबी नेपाल से लगी 1,751 किमी लंबी सीमा और भूटान से लगी 699 किमी सीमा की पहरेदारी करता है.
आईटीबीपी और एसएसबी के विलय को लेकर एक अधिकारी ने कहा कि इस विषय पर कुछ चर्चा हुई है, लेकिन इन दो बलों का विलय करने से पहले इस कदम के नफा-नुकसान पर विचार करना होगा. क्योंकि, ऐसा कोई कदम कारगिल युद्ध के बाद लिये गए उस नीतिगत फैसले के खिलाफ होगा, जिसके तहत एक सीमा के लिए एक बल का फैसला लिया गया था. दोनों बलों में एक लाख से कम कर्मी हैं. इस विषय पर और अधिक चर्चा हो रही है और किसी भी चीज को अंतिम रूप नहीं दिया गया है.
देश के सबसे बड़े पैरामिलिट्री फोर्स सीआरपीएफ का आतंक रोधी कमांडो एनएसजी के साथ विलय करने की भी चर्चा की जा रही है. अधिकारियों ने बताया कि ये दोनों बल एक दूसरे से बिल्कुल ही बहुत अलग हैं लेकिन संभवत: दोनों बलों के लिए एक कमान के बारे में चर्चा चल रही है. सीआरपीएफ कानून व्यवस्था कायम रखने वाला, नक्सल रोधी और उग्रवाद रोधी प्रमुख बल है, जबकि एनएसजी आतंकवाद रोधी और हाईजैक रोधी अभियानों के लिए शीर्ष संघीय बल है.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में इसकी संचालन तैयारियों की समीक्षा करने के लिए यहां सीआरपीएफ मुख्यालय का दौरा किया था. उन्होंने फोर्स से इस बात पर विचार करने को कहा था कि क्या बल को युवा और चुस्त दुरूस्त रखने के लिए नीतिगत कदम उठाए जा सकते हैं.
इसके बाद सीआरपीएफ ने अधिकारियों की छह सदस्यीय एक समिति गठित की, जो एक उम्र सीमा निर्धारित करेगी जिसके बाद इसके कर्मियों को संगठन के अंदर अपेक्षाकृत स्थिर ड्यूटी पर भेजा जा सकता है या उन्हें कम कठिन ड्यूटी दी जा सकती है समिति इस बारे में भी विश्लेषण करेगी कि क्या ऐसे कर्मियों को एसएसबी या केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) जैसे अन्य बलों में खपाया जा सकता है
इनपुट भाषा से भी
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