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वीडियो एडिटर: आशुतोष भारद्वाज
दो महीने के इंतजार के बाद टूंडला के कुछ प्रवासी जब अपने शहर पहुंचे तो उन्हें अपनों का प्यार नहीं, लाठी की मार मिली. दिल्ली से करीब 67 लोग स्पेशल ट्रेन से यूपी के टूंडला स्टेशन पहुंचे थे. कोई दिल्ली में सिविल्स की तैयारी कर रहा था तो कोई फाइव स्टार होटल में काम. कुछ लड़कियां भी थीं जो इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर कस्टमर केयर में काम करती हैं. इन लोगों का आरोप है कि जैसे ही ये लोग स्टेशन पर उतरे जीआरपी के लोगों ने लड़कियों के साथ गाली-गलौच की और कई लोगों पर लट्ठ बजाए. घटना 26 मई की है, और अखबारों में इस बारे में खबर भी छपी, क्विंट पीड़ितों तक पहुंचा और जाना कि आखिर उस दिन हुआ क्या था?
दिल्ली स्थित 5 स्टार होटल में कार्यरत गौरव यादव ने क्विंट को बताया कि - मैंने 12 अप्रैल को एक टिकट बुक किया था UPके पोर्टल पर, उसके बाद 24 मई को मैसेज आया कि "25 मई को सुबह 8 बजे स्क्रीनिंग के लिए कौटिल्य गवर्नमेंट सर्वोदय बल विद्यालय, चिराग इन्क्लेव, ग्रेटरव कैलाश नई दिल्ली पहुंचें." गौरव बताते हैं कि मैसेज में यह भी लिखा था कि "आपकी यात्रा 25 को रखी गई है, यह ट्रेन अलीगढ़, टूंडला, कानपूर, फतेहपुर सिराथू में भी रुकेगी. उन स्टेशनों से बसों की सेवा उपलब्ध होगी. ट्रेन में खाने की सुविधा भी उपलब्ध होगी, यह सभी सुविधा निःशुल्क होगी"
इस ट्रेन में प्रियंका भी सवार थीं. वो भी टूंडला उतरीं, उनके साथ उनकी बहन भी थीं. प्रियंका का आरोप है कि इनके साथ जीआरपी ने गाली ग्लौच की.
प्रियंका बताती हैं कि काफी हुज्जत के बाद सारे लोगों को ढाई किलोमीटर दूर एक क्वॉरन्टीन सेंटर पैदल ले जाया गया, जहां पानी तक की सुविधा नहीं थी.
जब हमने जीआरपी से इन आरोपों के बारे में पूछा तो उसका कहना है कि उनके पास यात्रियों के पहुंचने की कोई सूचना थी, जब उन्होंने यात्रियों से उतरने से मना किया तो वो बदसलूकी पर उतर पाए. जीआरपी ने लाठियां चलाने से भी इंकार किया है.
दोनों पक्षों की दलीलें आपने सुनीं. लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि अगर ट्रेन को टूंडला में नहीं रुकना था तो यात्रियों को मैसेज कैसे मिल गया? सवाल ये भी है कि क्या रेलवे में ही तालमेल की कमी हुई कि जीआरपी को सूचना नहीं मिली. सवाल ये भी है कि अगर किसी गलतफहमी के कारण दो महीने से लॉकडाउन की मार झेल रहे कुछ प्रवासी यूपी पहुंच ही गए थे तो उन्हें लाठियां मिलनी चाहिए या मदद?
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