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वीडियो: कुणाल खन्ना
बिहार में जैसे-जैसे प्रवासी पहुंच रहे हैं, कोरोना के मामले भी बढ़ते जा रहे हैं. बिहार में 29 मई तक 17 लोगों की कोरोना की वजह से जान जा चुकी है और 3300 से ज्यादा लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं, जिनमें से 2310 प्रवासी हैं. जब कोरोना अपने पांव पसार रहा है तब बिहार में बाहर से आ रहे लाखों लोगों की मुस्तैदी के साथ ना तो थर्मल स्कैनिंग हो रही है और ना ही उन्हें क्वॉरन्टीन सेंटर भेजा जा रहा है.
श्रमिक स्पेशल ट्रेन से अंबाला से बिहार के मुजफ्फरपुर पहुंचे तौसीफ बताते हैं, “जब हम लोग अंबाला से चले तो वहां हमारी स्क्रीनिंग हुई, हम लोग 18 घंटे का सफर 38 घंटे में तय करके जब मुजफ्फरपुर पहुंचे तो सब कुछ हैरान करने वाला था, ना ही स्टेशन पर सोशल डिस्टेंसिंग का किसी को खयाल था, ना ही किसी की जांच हुई. हमें लगा प्लेटफॉर्म के बाहर कहीं थर्मल स्क्रीनिंग हो, लेकिन वो भी नहीं हुआ.
हरियाणा में पढ़ने वाले हिमांशु ने बताया कि जब वो लोग मुजफ्फरपुर पहुंचे तो सबको पुलिस भगा रही थी. उसने बताया, “हम जब स्टेशन से बाहर आए तो पुलिस लोगों को भागने के लिए डंडे से मार रही थी, लोगों ने कहा, ऐसे ही इतना लंबा सफर था हमें क्यों पीट रहे हैं, फिर पुलिस वाले ने हमें पीटा नहीं और कहा कि यहां से भाग जाओ. जो लोग मुजफ्फरपुर के बाहर के थे उनके लिए बस लगी थी, लेकिन कहीं कोई जांच नहीं.”
मुंबई से बिहार पहुंचे कलीमुल्ला बताते हैं कि जब वो हाजीपुर स्टेशन पहुंचे तो उन लोगों को किसी ने नहीं रोका, किसी ने नहीं पूछा कि कहां जाना है.
जब क्विंट ने तौसीफ, हिमांशु और बाकी लोगों से ये जानना चाहा कि वो घर तो चले आए हैं, लेकिन कोरोना से उनके परिवार की सुरक्षा का क्या होगा. इसका जवाब देते हुए कलिमुल्लाह ने खुद की एक वीडियो भेजी जिसमें वो अपने इलाके के ब्लॉक ऑफिस पर जांच के लिए लाइन में लगे थे. वहीं तौसीफ, हिमांशु और उनके कई साथियों ने भी सेल्फ क्वॉरन्टीन में रहने की बात कही.
बता दें कि बिहार सरकार ने अब लॉकडाउन खत्म होने की वजह से 15 जून तक ही क्वॉरन्टीन सेंटर चालू रखने की बात कही है. बिहार सरकार के मुताबिक गृह मंत्रालय से जो नई गाइडलाइन जारी की है, वो बिहार में हूबहू लागू रहेंगी. बिहार में 15 जून तक ब्लॉक क्वॉरन्टीन सेंटर्स को फंक्शनल रखने का निर्णय लिया गया है.
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