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Gujarat: नागरिकता मिलने के 17 साल बाद PAK मूल का व्यक्ति 'जासूसी' के आरोप में गिरफ्तार

Gujarat: 2006 की शुरुआत में पाकिस्तानी मूल के पति-पत्नी को भारत की नागरिकता दी गई थी.

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<div class="paragraphs"><p>गुजरात: नागरिकता मिलने के 17 साल बाद, PAK मूल का व्यक्ति 'जासूसी' के आरोप में गिरफ्तार</p></div>
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गुजरात: नागरिकता मिलने के 17 साल बाद, PAK मूल का व्यक्ति 'जासूसी' के आरोप में गिरफ्तार

(Photo: Canva)

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भारत के पश्चिमी राज्य गुजरात (Gujarat) में 17 साल पहले एक पाकिस्तानी नागरिक को देश की नागरिकता दी गई थी. 1999 में लाभशंकर दुर्योधन माहेश्वरी (Labhshankar Duryodhan Maheshwari) अपनी पत्नी के साथ फर्टिलिटी ट्रीटमेंट के लिए गुजरात के आनंद जिले के तारापुर शहर पहुंचे. वह वहीं रुके रहे, खुद को एक सफल व्यवसायी के रूप में स्थापित किया और 2006 की शुरुआत में उन्हें भारतीय नागरिकता मिल गई.

हालांकि, गुरुवार, 19 अक्टूबर को गुजरात आतंकवाद विरोधी दस्ते (ATS) ने कथित तौर पर पाकिस्तानी एजेंटों को भारतीय सेना के बारे में संवेदनशील जानकारी पहुंचने में मदद करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया.

ATS ने आरोप लगाया कि माहेश्वरी ने पाकिस्तानी एजेंटों को भारतीय सिम कार्ड हासिल करने में मदद की, जिसका इस्तेमाल वे सेना के स्कूलों में भारतीय रक्षा कर्मियों के बच्चों के फोन हैक करने के लिए करते थे.

एटीएस ने कहा कि माहेश्वरी ने अपने परिवार के सदस्यों के लिए देश में वीजा दिलाने में पाकिस्तानी अधिकारियों की मदद के बदले में ऐसा किया.

गिरफ्तारी मिलिट्री इंटेलिजेंस (MI) की विशिष्ट खुफिया जानकारी के आधार पर हुई. आरोप लगा है कि पाकिस्तानी ऑपरेटिव भारतीय रक्षा कर्मियों को निशाना बनाने के लिए भारतीय सिम कार्ड का उपयोग कर रहे थे.

इलाज के लिए दंपती आए थे गुजरात

1999 में फर्टिलिटी ट्रीटमेंट के लिए अपनी पत्नी के साथ तारापुर आने के बाद, माहेश्वरी (53) अपने ससुराल वालों के साथ रहते थे, जो पहले पाकिस्तान से आए थे.

Indian Express की रिपोर्ट के मुताबिक रक्षा सूत्रों ने कहा कि उसने लंबे वक्त के वीजा के लिए आवेदन किया था और अपने ससुराल वालों की मदद से वह एक सफल बिजनेसमैन बना. उसने एक किराना स्टोर चलाया और तारापुर में कई स्टोर और एक घर किराए पर लिया. हालांकि, माहेश्वरी और उनकी पत्नी की कोई संतान नहीं थी.

2006 की शुरुआत में पति-पत्नी को भारतीय नागरिकता मिल गई. 2022 में, उन्होंने पाकिस्तान में अपने माता-पिता से मुलाकात की और माना जाता है कि उनके पाकिस्तानी वीजा के प्रोसेस के दौरान पाकिस्तानी एजेंटों द्वारा उन्हें "अपमानित" किया गया था.

रिपोर्ट के मुताबिक अपने माता-पिता के साथ छह सप्ताह के प्रवास के दौरान, ऐसा माना जाता है कि वह पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के संपर्क में था.

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पाकिस्तानी दूतावास को सिम कार्ड के लिए मदद का आरोप

ATS ने कहा कि भारत लौटने के बाद, उसने जामनगर निवासी मोहम्मद सकलैन उमर ताहिम के नाम पर रजिस्टर्ड एक सिम कार्ड को पाकिस्तान दूतावास को पहुंचाने में मदद की.

एटीएस ने कहा कि...

"माहेश्वरी अपने पाकिस्तान स्थित चचेरे भाई किशोरभाई उर्फ सवई जगदीशकुमार रामवानी के जरिए इस दूतावास से जुड़ा था. माहेश्वरी ने भारतीय नागरिकता हासिल करने के कई सालों के बाद 2022 में पाकिस्तान के लिए वीजा की मदद के लिए अपने चचेरे भाई से संपर्क किया था. माहेश्वरी ने अपनी पत्नी के साथ पाकिस्तान का सफर किया और उसी के जरिए उन्हें अपनी बहन और भतीजी के लिए वीजा मिला."

रिपोर्ट के मुताबिक अधिकारियों ने कहा कि इसके बाद उसने अपनी बहन के जरिए चचेरे भाई को सिम कार्ड भेजा, जिसने इसे पाकिस्तानी एजेंटों तक पहुंचाया.

Indian Express के साथ बातचीत के दौरान ATS के पुलिस अधीक्षक, ओम प्रकाश जाट ने बताया कि...

"रामवानी (माहेश्वरी के चचेरे भाई) से जुड़े एक अज्ञात व्यक्ति ने माहेश्वरी को बताया कि उसकी बहन को उसका वीजा मिल जाएगा, लेकिन उसे एक सिम कार्ड भी मिलेगा, जिसे उसे एक्टिव करना होगा. उसे व्हाट्सएप करें और उसे ओटीपी (वन-टाइम पासवर्ड) भेजें. उस व्यक्ति ने माहेश्वरी से यह भी कहा कि वीजा प्रोसेस पूरा होने और उसकी बहन के पाकिस्तान जाने के बाद उसे अपने साथ सिम कार्ड लाना होगा."
माहेश्वरी पर जासूसी और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है. ATS ने कहा कि उसे सात दिन की हिरासत में भेज दिया गया.

रक्षा सूत्रों ने Indian Express को बताया कि जुलाई के तीसरे सप्ताह के आसपास, MI अधिकारियों ने एक पाकिस्तानी इंटेलिजेंस ऑपरेटिव द्वारा एक नापाक अभियान का पता लगाया, जिसमें एक व्हाट्सएप नंबर का उपयोग करके सेवारत रक्षा बलों के कर्मियों के एंड्रॉइड मोबाइल हैंडसेट से छेड़छाड़ की गई थी. इनमें से ज्यादातर के बच्चे अलग-अलग सेना में पढ़ रहे थे.

रिपोर्ट के मुताबिक सूत्रों ने कहा कि एक व्हाट्सएप यूजर ने खुद को आर्मी स्कूल का अधिकारी बताते हुए, ऐसे टारगेट्स को एक टेक्स्ट मैसेज के साथ एप्लिकेशन भेजा. इसमें उन्हें एप्लिकेशन इंस्टॉल करने और एक प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए एप्लिकेशन पर राष्ट्रीय ध्वज के साथ अपने वार्ड की तस्वीर अपलोड करने के लिए प्रोत्साहित किया गया.

रिपोर्ट के मुताबिक पता चला है कि व्हाट्सएप के जरिए '.apk' फाइलें भेजकर पाकिस्तानी ऑपरेटरों ने फोन को रिमोट एक्सेस ट्रोजन मैलवेयर से संक्रमित कर दिया.

(इनपुट- Indian Express)

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