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गुजरात हाई कोर्ट ने राज्य में कोरोना की स्थिति को लेकर विजय रूपाणी सरकार को फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा है कि लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है और जो सरकार दावा कर रही है, 'स्थिति उससे एकदम विपरीत है.'
चीफ जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस भार्गव करिया की डिवीजन बेंच ने कहा, "लोग अब सोचते हैं कि वो भगवान के रहम पर हैं." कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए ये टिप्पणी की. हाई कोर्ट ने इस याचिका पर खुद ही संज्ञान लिया था.
हाई कोर्ट ने गुजरात सरकार को शादियों में लोगों की संख्या 100 से कम करके 50 करने, अंतिम संस्कार में लोगों की तादाद सीमित करने, सभी तरह के कार्यक्रमों पर पाबंदी लगाने जैसे कुछ कदम भी सुझाए.
एडवोकेट जनरल कमल त्रिवेदी ने हाई कोर्ट को सरकार के उठाए कदमों की जानकारी दी, लेकिन कोर्ट ने ज्यादातर स्पष्टीकरण को मानने से मना कर दिया.
गुजरात हाई कोर्ट ने कहा, "जो आप दावा कर रहे हैं, स्थिति उससे बहुत अलग है. आप कह रहे हैं कि सब कुछ ठीक है, लेकिन सच्चाई इसके विपरीत है."
कुछ मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया था कि रेमडेसिविर इंजेक्शन की कमी है. इस पर त्रिवेदी ने कोर्ट से कहा कि जिन लोगों को ड्रग की जरूरत नहीं है, वो भी इसे खरीदने की कोशिश कर रहे हैं.
त्रिवेदी ने कहा, "सिर्फ सात कंपनियां इस ड्रग को बनाती हैं. प्रोडक्शन एक दिन में 1.75 लाख वायल है. हम हर दिन गुजरात के लिए 25,000 इंजेक्शन खरीद रहे हैं."
गुजरात हाई कोर्ट ने कहा, "दवाई उपलब्ध है, लेकिन सरकार इसे नियंत्रित कर रही है. लोग इसे क्यों नहीं खरीद सकते? सुनिश्चित कीजिए कि ये हर जगह उपलब्ध हो. रेमडेसिविर की कोई कमी नहीं है."
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