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Gujarat Morbi Bridge:सस्पेंशन ब्रिज कैसे काम करता है,दुनिया में पहली बार कब बना?

Gujarat Morbi Bridge Collapse: गुजरात मोरबी पुल हादसे में 134 लोगों की मौत, अबतक 9 आरोपी गिरफ्तार

मोहम्मद साकिब मज़ीद
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p><strong>Gujarat में गिरने वाला सस्पेंशन ब्रिज कैसे काम करता है, पहली बार कब बना था पुल?</strong></p></div>
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Gujarat में गिरने वाला सस्पेंशन ब्रिज कैसे काम करता है, पहली बार कब बना था पुल?

(फोटो- https://morbi.nic.in)

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गुजरात (Gujarat) के मोरबी (Morbi) में मच्छू नदी पर बना सस्पेंशन ब्रिज के अचानक टूट जाने से रविवार, 30 अक्टूबर को बड़ा हादसा हुआ. रिपोर्ट के मुताबिक इस हादसे में अब तक कुल 134 लोग मारे जा चुके हैं, वहीं 93 लोगों के घायल होने की खबर है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार, 1 नवंबर को गुजरात के मोरबी का दौरा करेंगे. आइए यहां समझने की कोशिश करते हैं कि सस्पेंशन ब्रिज कैसे काम करता है ?

कैसे काम करता है सस्पेंशन ब्रिज?

सस्पेंशन ब्रिज दो ऊंचे टावरों पर रुका होता है और इससे ही पुल का टेंशन दोनों किनारों को जोड़े रखता है. टेंशन वो केबल होती है, जो एक टॉवर को दूसरे टॉवर से जोड़ती है. टेंशन से वो केबल भी बंधे होते हैं, जो पुल की सड़क को टेंशन से बांधे रहते हैं. दोनों खंबों के बीच बंधी केबलों को कई अन्य केबलों के जरिए ब्रिज के ग्राउंड से जोड़ा जाता है.

सस्पेंशन ब्रिज में लगे छोटे केबलों को सस्पेंडर्स कहा जाता है. ये डेक से मुख्य सपोर्टिंग केबल्स तक वर्टिकल फॉर्मेट में लगे होते हैं. डेक, ब्रिज का वो हिस्सा होता है, जो पुल की सड़क का आखिरी छोर होता है. यह जमीन या पहाड़ी में सटा हुआ होता है. डेक के बाद टॉवर होता है, जो पुल को बेस देता है.

इस तरह सस्पेंशन ब्रिज में टॉवर, टेंशन, डेक, फाउंडेशन और केबल सस्पेंशन ब्रिज के अहम हिस्से होते हैं.

सस्पेंडर्स मुख्य सपोर्टिंग केबलों के जरिए डेक के दबाव को टावरों तक ले जाते हैं, जो टावरों और जमीन से नीचे के बीच सुंदर चाप बनाता है. सस्पेंशन ब्रिज के टॉवर काफी पतले होते हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि इसमें लगने वाला फोर्स टावरों के हर तरफ संतुलित होता है.

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सस्पेंशन पुल कब बनाया गया था?

सस्पेंशन ब्रिज का निर्माण 19 वीं शताब्दी के शुरुआत में हुआ था. इसे आधुनिकता के एक उदाहरण के रूप में देखा गया. यह पुल मानवनिर्मित सबसे पुराने प्रकारों में से एक हैं.

सस्पेंशन पुलों के शुरुआती वर्जन का निर्माण 15वीं शताब्दी में थांगटोंग ग्यालपो, तिब्बती संत और पुल-निर्मातों द्वारा किया गया था. उन्होंने तिब्बत और भूटान के चारों ओर 58 से अधिक सस्पेंशन पुलों का निर्माण किया था, जो काफी दिनों तक लोगों के काम आता रहा. साल 2004 में बाढ़ की वजह से यह पुल ढह गया. उनके ज्यादातर पुलों में सस्पेंशन केबल की जगह पर जंजीरें लगाई गई थीं, जबकि शुरुआती पुलों में याक की खाल के रस्सियों का इस्तेमाल किया गया था.

सस्पेंशन ब्रिज का पहला डिजाइन 1959 में आई किताब "माचिना नोवे" (Machinae Novae) में दिखाई दिया, जो आधुनिक डिजाइनों के समान है. उन्होंने अपनी किताब में लकड़ी और रस्सी के सस्पेंशन ब्रिज और लोहे की जंजीरों का उपयोग करते हुए केबल से बने पुल के लिए डिजाइन भी किए हैं.

भारत किन-किन जगहों पर है सस्पेंशन ब्रिज?

भारत में कई नदियों पर सस्पेंशन ब्रिज बनवाए गए हैं. इस तरह के ब्रिज टूरिज्म के उद्देश्य से काफी अहम माना जाता है. इस तरह से अगर देखा जाए तो भारत में सैंकड़ों सस्पेंशन ब्रिज हैं. देश के प्रसिद्ध सस्पेंशन पुलों में कोटो हैंगिंग ब्रिज, लोहित रिवर, लक्ष्मण झूला, वालॉन्ग और दार्जलिंग के ब्रिज शामिल हैं.

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