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गुजरात दंगों (Gujrat Riots) के बारे में भ्रामक जानकारी देने, किसी को फंसाने के लिए साजिश रचने के आरोप में अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने पूर्व आईपीएस अधिकारी आरबी श्रीकुमार (RB Sreekumar) को गिरफ्तार किया है.
बता दें सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगों में मारे गए कांग्रेस नेता एहसान जाफरी की विधवा जकिया जाफरी द्वारा तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और राज्य के 60 से अधिक वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ लगाए गए आरोपों को खारिज कर दिया है.
इसके बाद एक इंटरव्यू में गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि प्रधानमंत्री मोदी ने झूठे आरोप कई साल सहे. इस इंटरव्यू के कुछ घंटे के भीतर ही गुजरात पुलिस ने यह कार्रवाई की है.
श्रीकुमार केरल के तिरुवनंतपुरम से संबंध रखने वाले 1971 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. अप्रैल 2002 के दौरान उन्हें एडीशनल डीजीपी (इंटेलीजेंस) नियुक्त किया गया. श्रीकुमार ने केरल विश्वविद्यालय से इतिहास में मास्टर डिग्री हासिल की और गांधीवादी विचार, अंग्रेजी साहित्य और क्रिमिनोलॉजी (एलएलएम) में भी मास्टर किया.
गुजरात में पोस्टिंग होने से पहले श्रीकुमार को 1979 में सेंट्रल इंडस्ट्रियल सेक्योरिटी फोर्स (CISF) में तैनात किया गया और उन्होंने 1980-84 तक CISF यूनिट के कमांडेंट के रूप में कार्य किया. इसके बाद वो खेड़ा और कच्छ जिलों के एसपी पद के लिए गुजरात लौट आए. इसके बाद उन्होंने गुजरात बिजली बोर्ड (गुजरात ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड) में सुरक्षा निदेशक के पद पर भी काम किया.
इसके बाद उन्हें तिरुवनंतपुरम में सहायक खुफिया ब्यूरो (SIB) के उप निदेशक पद के लिए ट्रांसफर किया गया.
साल 2002 के दौरान श्रीकुमार ने गुजरात में वापसी की, तब राज्य में केशुभाई पटेल की सरकार थी. उन्हें गुजरात में एडीजीपी का पद दिया गया. इसके बाद मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार में श्रीकुमार को खुफिया विभाग का प्रभारी बनाया गया.
श्रीकुमार का राज्य सरकार के साथ पहला टकराव उस वक्त हुआ जब उन्होंने तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त जेएम लिंगदोह को एक रिपोर्ट पेश की. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि गुजरात के 182 निर्वाचन क्षेत्रों में से 154 क्षेत्र दंगों से प्रभावित हुए थे और विस्थापन की वजह से एक लाख से अधिक लोगों को बेदखल कर दिया गया था. उनकी इस रिपोर्ट ने सरकार के दावों का खंडन किया क्योकिं सरकार ने कहा था कि विधानसभा चुनावों के लिए माहौल काफी शांतिपूर्ण था.
रिटायरमेंट के बाद श्रीकुमार ने गुजरात दंगा पीड़ितों की मदद करने के लिए गुजरात में वापस रहने के बारे में सोचा. फिलहाल वे अहमदाबाद में रहते हैं. 2015 में गुजरात दंगों पर उनकी एक किताब भी पब्लिश हुई, जिसका टाइटल है-“Gujarat Behind the Curtain”
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