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गुप्तेश्वर पांडे: 'विधायक जी इन वेटिंग' से कैसे बन गए कथावाचक?

Gupteshwar pandey ने बिहार विधानसभा चुनाव 2020 से पहले नौकरी से वीआरएस ले लिया था.

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<div class="paragraphs"><p>बिहार के पूर्व DGP Gupteshwar Pandey</p></div>
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बिहार के पूर्व DGP Gupteshwar Pandey

(फोटो:Altered by Quint Hindi)

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गेरुआ वस्त्र, गले में जय श्रीराम नाम वाला गमछा, ललाट का कोई हिस्सा केसरिया टीके से खाली नहीं , सफेद फूलों का माला. मानों कोई महंत, साधु, मंडलेश्वर या पुजारी हों. कल तक 'रिया चक्रवर्ती की हैसियत नहीं है कि बिहार के मुख्यमंत्री के बारे में कोई टिप्पणी करें' कहने वाले अब आंख मूंद कर भक्ति में लीन होकर राधे श्याम का जप कर रहे हैं.

कह रहे हैं, कोई मोह नहीं, जो ठाकुर जी चाहेंगे वही होगा. मैं जो कर रहा हूं वो उसके पीछे ठाकुर जी की मर्जी है. ये हैं नए नए कथावाचक बने गुप्तेश्वर पांडे. हां, बिहार के पुलिसिया तंत्र के सबसे बड़े अधिकारी रहे डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे.

'नेता इन वेटिंग' से 'कथावाचक इन प्रोग्रेस'

1987 बैच के आईपीएस अधिकारी गुप्तेश्वर जी कुछ भी 'गुप्त' नहीं रखते हैं. पहले भी अलग-अलग अवतार में दिखते रहे हैं. कभी पुलिस, कभी 'विधायक जी इन वेटिंग' और अब अध्यातम का रास्ता. मतलब 'नेता इन वेटिंग' से 'कथावाचक इन प्रोग्रेस'.

गुप्तेश्वर पांडे जी का एक म्यूजिकल वीडियो भी आया था, नाम था 'रॉबिनहुड बिहार के'. दबंग के रॉबिनहुड पांडे मतलब सलमान खान और सिंघम के अजय देवगन का कॉकटेल समझिए. एक्टिंग का अंदाज भी लोगों ने देखा था.

दीपक ठाकुर के गाने में गुप्तेश्वर पांडे(फोटो: twitter)

कैसे बन गए कथावाचक?

सोशल मीडिया पर एक निमंत्रण पत्र शेयर हो रहा था. जिसपर लिखा था, "श्रीमद् भगवत वचन अमृत, दिनांक- 24 जून 2021. समय - दोपहर 2 बजे से 3 बजे तक. अवधि- ज्येष्ठ शुक्ल पंचमी से हरि इच्छा तक. और आखिर में लिखा था- कथाव्यास श्री गुप्तेश्वर पांडेय जी (पूर्व डीजीपी, बिहार)." ये कथा ऑनलाइन हुई, जूम ऐप पर हुई.

भले ही अभी कथावाचक के रोल में गुप्तेश्वर पांडे ट्रेनिंग ले रहे हों लेकिन कहा जाता है कि गुप्तेश्वर पांडे की जिंदगी में नेता बनने की भी ख्वाहिश ने एक नहीं दो-दो बार हिलोरे मारे थे.

इसीलिए उन्होंने 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले वीआरएस ले लिया. रिटायर होने में 5 महीने का वक्त बाकी था. बस लगा कि अब नीतीश कुमार अपने गुप्तेश्वर बाबू को विधायकी का टिकट दे देंगे, लेकिन किस्मत और राजनीति में कब क्या हो कोई नहीं जानता. टिकट की लिस्ट आई लेकिन गुप्तेश्वर पांडे का नाम नहीं था. फिर लगा राज्यसभा भेजे जाएंगे, वो भी न हो सका.

इससे पहले 2009 में भी पांडे जी ने नौकरी छोड़ी थी. चर्चा चली थी कि चुनाव लड़ेंगे, लेकिन बाद में उन्होंने नौकरी में वापस आने की इच्छा जताई और नीतीश सरकार ने उन्हें वापस नौकरी दे भी दी.

लेकिन अब गुप्तेश्वर पांडे दुनिया की मोह माया से अलग लोगों को मोह-माया से मुक्ति की राह बता रहे हैं. मथुरा से लेकर वृंदावन में कथा का कार्यक्रम बन रहा है.

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